वायु प्रदूषण ने बजाई खतरें की घंटी, फेफड़ों समेत अन्य बीमारियों की बढ़ी आशंका
वायु प्रदूषण हर साल तेजी से बढ़ता ही जा रहा है, जिसका असर फेफड़ों पर तो सीधा असर पड़ता ही है, साथ ही इससे मानसिक बीमारियों का भी खतरा रहता है।
नई दिल्ली- वायु प्रदूषण हर साल तेजी से बढ़ता ही जा रहा है, जिसका असर फेफड़ों पर तो सीधा असर पड़ता ही है, साथ ही इससे मानसिक बीमारियों का भी खतरा रहता है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि वायु प्रदूषण के कारण पार्किंसंस व अल्जाइमर के साथ-साथ अन्य मानसिक बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। इसका सीधा संबंध पीएम 2.5 से है। वैसे तो यह अध्ययन अमेरिका के क्षेत्र विशेष पर आधारित है, लेकिन इसके निष्कर्ष हमारे देश की राजधानी दिल्ली व अन्य महानगरों में रहने वाले लोगों को सावधान करते हैं। इन शहरों में प्रदूषण का दानव एक बार फिर विकराल होता जा रहा है।
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आपको बता दें कि पीएम 2.5 क्या है? पीएम का मतलब, पार्टिकुलेट मैटर अति सूक्ष्म कण होते हैं। इनका आकार एक इंच के दस हजारवें हिस्से के बराबर होता है। इनका उत्सर्जन उद्योगों, परिवहन, जंगल की आग आदि से होता है। आमतौर पर 35 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पीएम 2.5 की मौजूदगी वाली हवा को ठीक माना जाता है, लेकिन विश्व स्वस्थ्य संगठन 10 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के मानक की सिफारिश करता है।
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वू द लैंसेट प्लैनेट्री हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के लेखक व हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े शोधकर्ता जियाओ वू ने कहा, ‘हमारे अध्ययन में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि पीएम 2.5 के बीच लंबा समय बिताना मानसिक स्वास्थ्य को दुर्बल करता है। इसके बावजूद कि पीएम 2.5 की मौजूदगी राष्ट्रीय स्तर के कम है। हालांकि, लोगों की सेहत की सुरक्षा को देखते हुए मौजूदा मानक भी उपयुक्त नहीं है।
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