झारखंड में हो रही खिलाड़ियों की दुर्दशा, ईंट-भट्ठे पर काम करने को मजबूर हुई ये अंतर्राष्ट्रीय महिला फुटबॉलर
झारखंड के खिलाड़ियों की दुर्दशा की कहानी लॉकडाउन में लगातार उभर कर सामने आ रही है. पिछले एक साल के इस कोविड काल में मीडिया के माध्यम से राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों को सब्जी बेचते देखने से लेकर तमाम झंझावातों से गुजरते लोगों ने देखा.
संगीता पिछले तीन सालों से एक अदद नौकरी के लिए संघर्षरत हैं, लेकिन उनको आज तक उनका हक नहीं मिला. पिछले साल भी उनकी हालत को लेकर सोशल मीडिया में कुछ लोगों ने सीएम को ट्वीट किया था, जिस पर आदेश भी आया लेकिन कोई ठोस पहल नहीं हुई.
जानकारी के अनुसार पिछले साल प्रशासन से मात्र दस हजार की मदद पेश कर खानापूर्ति कर दी गई, लेकिन उसके बाद फिर आगे कोई मदद नहीं मिली.पहले भाई मजदूरी कर किसी तरह घर चलाता था, लेकिन लॉकडाउन में काम धंधा बंद होने से वह भी बेरोज़गार हो गया है.
बताते चलें कि धनबाद की संगीता कुमारी भूटान में फुटबॉल की अंडर-18 और थाईलैंड में अंडर-19 खेल चुकी हैं. भूटान में बतौर स्ट्राई फॉरवर्ड गोल भी दागा था. राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट में भी वह झारखंड का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं.
पहले से ही झारखंड में एक व्यापक खेल नीति के अभाव में खिलाडियों की दुर्दशा जगजाहिर है, उस पर कोरोना काल में तो हालात इस कदर खराब हुए हैं कि घर चलाने के लिए धनबाद की अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉलर संगीता कुमारी को अपनी मां के साथ ईंट भट्टा में काम करना पड़ रहा है.
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