Yogi Cabinet Expansion: चुनाव से पहले मंत्रिमंडल विस्तार के बहाने इन समीकरणों को साधने में जुटी BJP

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार का रविवार को मंत्रिमंडल विस्तार होगा। उत्तर प्रदेश सरकार की मंत्रिपरिषद का विस्तार का शपथ ग्रहण कार्यक्रम राजभवन के गांधी सभागार में शाम 05:30 बजे होगा।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार का रविवार को मंत्रिमंडल विस्तार होगा। उत्तर प्रदेश सरकार की मंत्रिपरिषद का विस्तार का शपथ ग्रहण कार्यक्रम राजभवन के गांधी सभागार में शाम 05:30 बजे होगा। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के करीब दो बजे गुजरात से लखनऊ लौटने पर राजभवन ने इसकी सूचना जारी कर दी। इसके साथ ही राजभवन में मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी ने गति पकड़ ली।

योगी कैबिनेट को लेकर अभी तक आधिकारिक रूप से तो कुछ भी सामने नहीं आया है, लेकिन बताया जा रहा है कि 7 नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है. अभी तक जो संभावित नाम सामने आ रहे हैं, उनमें जितिन प्रसाद, संजय निषाद, बेबी रानी मौर्य, संगीता बलवंत बिंद, तेजपाल नागर सहित आधा मंत्री शपथ ले सकते हैं. इसके अलावा पलटू राम, दिनेश खटीक, कृष्णा पासवान का नाम भी मंत्री पद की दौड़ शामिल है.

कैबिनेट विस्तार के क्या है मायने-

पिछले कई महीनों से यूपी में कैबिनेट विस्तार होने की चर्चा जोरों पर थी. इसको लेकर आरएसएस और सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच भी कई मीटिंग हुई थीं. लेकिन सवाल एक ये भी उठता है कि जब विधानसभा चुनाव में कुछ चंद महीने ही बाकी हैं तो फिर कैबिनेट विस्तार की जरूरत क्यों?

तो इसका जवाब है अगले साल विधानसभा चुनाव. दरअसल, इस कैबिनेट विस्तार के जरिए बीजेपी उन जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश में है, जिनका सियासी फायदा मिल सकता है. इस बार कैबिनेट में उन जातियों को जगह देने की कोशिश है जिनका प्रतिनिधित्व अभी तक कम था. कैबिनेट में पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों को जगह मिलना तय माना जा रहा है.

कैबिनेट विस्तार के साथ जातीय समीकरणों को साधने में जुटी बीजेपी-

पार्टी की पहली प्राथमिकता जातीय समीकरणों को साधने की है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 2017 में पार्टी की ऐतिहासिक जीत के पीछे UP का जातीय समीकरण था। पिछले विधानसभा चुनाव में BJP को UP में सभी जातियों का साथ मिला था, पार्टी ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 325 सीटें जीती थीं। कहा जाता है कि BJP की इस बड़ी जीत में गैर यादव OBC का बड़ा हाथ था। UP में OBC करीब 40% हैं और यह यूपी की सियासत में खासा महत्व रखते हैं।

यूपी में दलित वर्ग की कुल आबादी का करीब 21% है। इस लिहाज से ये भी सियासत में काफी मायने रखते हैं। इसके बाद नंबर आता है 20% अगड़ी जातियों का। इसमें सबसे ज्यादा 11% ब्राह्मण, 6% ठाकुर और 3% कायस्थ और वैश्य हैं। माना जाता है कि यादव को छोड़कर पिछड़ी जाति का बड़ा वोट BJP को मिला था। साथ ही जाटव को छोड़ बड़ी संख्या में दलितों ने भी BJP को वोट किया था, लेकिन जिन छोटे दलों को साथ लेकर BJP इन वोट बैंक को अपने पाले में लाई थी, वह अब पार्टी से या तो दूर हैं या फिर नाराज।

ये योगी सरकार का आखिरी कैबिनेट विस्तार होगा, इसलिए इस बार जातीय समीकरण बैठाने की कोशिश भी हो रही है. यही वो वजह है कि इस बार जितने नाम हैं उनमें से ज्यादातर दलित जाति से हैं, जिनमें पलटू राम, दिनेश खटीक, धर्मवीर प्रजापति शामिल हैं. बरेली से छत्रपाल गंगवार भी कैबिनेट में रहेंगे.
ऐसा भी कह सकते हैं कि जिन जातियों को अभी तक मंत्रिमंडल में या फिर विधान परिषद में जगह नहीं मिली है, उन्हें बीजेपी इस बार जगह देने जा रही है. कैबिनेट में गाजीपुर से विधायक संगीता बिंद को भी जगह मिलनी तय मानी जा रही है. संगीता बिंद मल्लाह समुदाय से हैं. धर्मवीर प्रजापति भी दलित समुदाय से आते हैं.

मनोनीत विधान परिषद के नामों पर भी लगी मुहर-

मंत्रिमंडल में विस्तार को लेकर चल रहे कयास के कारण निषाद पार्टी के डॉ. संजय निषाद व उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य भी शनिवार से ही लखनऊ में डटे हैं। अभी तक इनके नाम की कोई चर्चा भी नहीं है। माना जा रहा है कि इनको विधान परिषद सदस्य मनोनीत किया जाएगा। रविवार को राज्यपाल के लखनऊ आगमन के बाद मनोनीत विधान परिषद सदस्यों की सूची पर भी मुहर लगेगी। इसमें कांग्रेस से भाजपा में शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद, निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद व उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्या का नाम फाइनल है। चौथा नाम राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अनुमोदन के बाद तय हो जाएगा।

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