लखनऊ : वनों की रक्षा में अपने जीवन की आहूति देने वालों को पुष्पांजलि अर्पित
लखनऊ : वन शहीद दिवस 11 सितम्बर के अवसर पर वन विभाग मुख्यालय स्थित शहीद स्मारक पर वनों की रक्षा में अपने जीवन की आहूति देने वाले अमर शहीदों को स्मरण करते हुए हेड ऑफ फारेस्ट फोर्स, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष डा0 राजीव कुमार गर्ग, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव, सुनील पाण्डेय, प्रधान मख्य वन संरक्षक, अनुश्रवण एवं कार्ययोजना, अजय कुमार सहित समस्त वनाधिकारीयों एवं कर्मचारियों द्वारा वन शहीदो को पुष्पांजलि अर्पित की गयी।
- भारत सरकार तथा उत्तर प्रदेश सरकार प्रतिवर्ष 11 सितम्बर को ‘वन शहीद दिवस’ के रूप में वन शहीदों को स्मरण करती है।
- 11 सितम्बर 1730 ई0 में जोधपुर (राजस्थान) के खेजड़ली ग्राम में वनों एवं वृक्षों की रक्षा करते हुए 360 महिलाओं एवं पुरूषों ने अपनी जान गंवाई थी।
- इस घटना के कारण ही यह दिवस वन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
परिवार से दूर घने जंगलों में रहकर दायित्वों का निर्वहन करते हैं वनकर्मी :-
- पृथ्वी पर फैली हुई विशाल वन सम्पदा की रखवाली, विकास, पर्यावरण की सुरक्षा का मुख्य दायित्व वन विभाग का है।
- वनकर्मी अपने परिवार से दूर घने जंगलों में रहकर अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं।
- जिसके कारण उनको अनेकों प्राकृतिक तथा वन-माफियाओं और शिकारियों से सामना करने में अपने प्राणों की आहूति तक देनी पड़ती हैं।
- वनकर्मी पौधों एवं वन्य जीवों का अपने पुत्रों के समान समझता है एवं इसकी रक्षा करने में अपनी जान की भी परवाह नहीं करता।
- वर्तमान समय में जबकि वन माफिया आधुनिक हथियार एवं सूचना-तन्त्र से लैस रहते हैं, परन्तु वनकर्मी अपने दायित्वों के परिपालन हेतु वन सम्पदा को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ता है।
- यही कारण है उत्तर प्रदेश में वर्ष 1978 से अब तक 179 अधिकारी व कर्मचारी शहीद हो चुके है।
- जिनमें 01 वन संरक्षक, 02 सहायक वन संरक्षक, 08 क्षेत्रीय वनाधिकारी, 06 उप क्षेत्रीय वनाधिकारी, 17 वनदरोगा, 78 वन्य जीव रक्षक, 01 सर्वेयर, 01 वाहन चालक तथा 65 चतुर्थ श्रेणी और दैनिक पारिश्रमिक जैसे- माली, वाचर, गेट कीपर, अग्नि श्रमिक तथा अन्य कर्मी शमिल हैं।
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