सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है, यमराज भी यहां हार मान जाते
सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। देशभर में सभी जगह भगवान शिव की पूजा अर्चना होती है। इन्हीं में से एक मार्कंडेय महादेव हैं।
सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। देशभर में सभी जगह भगवान शिव की पूजा अर्चना होती है। इन्हीं में से एक मार्कंडेय महादेव हैं। सावन मास में यहां भक्तों का तांता लग जाता है। मार्कंडेय महादेव का मंदिर वाराणसी से करीब 30 किमी दूर गंगा-गोमती के संगम तट कैथी गांव में स्थित है। यह स्थान वाराणसी गाजीपुर राजमार्ग पर पड़ता है। मान्यता है कि यमराज भी यहां हार मान जाते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के अलावा लोग कैथी धाम के भी दर्शन के लिए पहुंचते हैं। आज हम कैथी धाम की कथा के विषय में विस्तार से जानेंगे।
कैथी धाम की कथा
इस धाम के लेकर एक कथा प्रचलित है कि जब मार्कण्डेय ऋषि पुत्र पैदा हुए तो वो अल्पायु के थे। उनके माता पिता को यह बात ज्योतिषियों ने बताया कि लड़का सिर्फ 14 साल तक जीवित रहेगा। जिससे ऋषि दंपति दुखी रहने लगे थे। संतों की सलाह पर मार्कण्डेय ऋषि के पिता ने गंगा-गोमती संगम पर बालू से शिव विग्रह बनाकर उसकी पूजा करने लगे। मार्कण्डेय ऋषि के पिता तपस्या में लीन हो गए। जब बालक मार्कण्डेय ऋषि 14 साल के हो गए थे।
ज्योतिषियों के बताए समय पूर्ण होने पर उन्हें लेने यमराज आ गए। उस समय पिता के साथ-साथ बालक मार्कण्डेय ऋषि भी तपस्या में लीन थे। जैसे ही यमराज उनका प्राण हरने चले वैसे ही भगवान शिव प्रकट हो गए। भगवान शिव को देखकर यमराज नतमस्तक हो गए। भगवान शिव ने कहा कि मेरा भक्त सदैव अमर रहेगा और इसकी पूजा की जाएगी। तभी से भगवान शिव के साथ-साथ मार्कण्डेय की पूजा होने लगी। तभी से यह मार्कण्डेय महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
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