वर्ल्ड हैबिटेट डे 2020: दुनिया में करीब इतने करोड़ लोगों के सर पर आज भी नहीं हैं रहने के लिए छत

सभी के लिए किफायती आवास विशेष रूप से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में सभी सरकारों के लिए एक प्रमुख लक्ष्य है। इस वर्ष विश्व निवास दिवस शहरी क्षेत्रों में आवास पर महामारी के प्रभाव को देखता है क्योंकि कई लोगों को लॉकडाउन के दौरान नकदी संकट का सामना करना पड़ा और किराए का भुगतान करने में असमर्थ थे। शहरी गरीबों के लिए किफायती, सुरक्षित और पर्याप्त आवास भारत सरकार का फोकस रहा है।

उनकी खराब स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महामारी से पहले 1.8 बिलियन लोग या तो स्लम में रह रहे थे या शहरों में बिना घर के जिंदगी गुजारने को मजबूर थे. आंकड़ों के मुताबिक, 3 बिलियन लोगों तक साफ-सफाई के बुनियादी साधन का अभाव था. सामाजिक सुरक्षा का फायदा हासिल करने से 4 बिलियन लोग महरूम थे.

संयुक्त राष्ट्र अधिकार और जिम्मेदारी के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए हर साल वर्ल्ड हैबिटेट डे मनाता है. जहां एक तरफ हमारे अधिकार हैं तो वहीं पड़ोसियों की स्थिति में सुधार के लिए प्रयास करना भी हमारी जिम्मेदारी है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में 1985 को आवास दिवस मनाने की घोषणा की गई. उसके बाद 1986 में पहली बार प्रस्ताव पास कर वर्ल्ड हैबिटेट डे मनाने की शुरुआत की गई. इस मकसद को हासिल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की तरफ से कार्यक्रम, गतिविधियां, सतत विकास के लिए विचार-मंथन और उपाय सुझाए जाते हैं.

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