लखनऊ : क्या निजी अस्पतालों के भरोसे होगा इन बीमारियों का इलाज…

प्रदेश के बड़े और आसपास के जिलों के मरीजों को राहत देने वाले अस्पतालों की स्थिति अब दिनोदिन बिगड़ती जा रही है।

लखनऊ : प्रदेश के बड़े और आसपास के जिलों के मरीजों को राहत देने वाले अस्पतालों की स्थिति अब दिनोदिन बिगड़ती जा रही है। कारण साफ है कि सेवानिवृत्ति, स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति और निजी संस्थानों की तरफ डॉक्टर्स का रूख… पीजीआई, केजीएमयू और लोहिया संस्थान में वरिष्ठ डॉक्टरों के करीब 500 पद खाली हैं। कुछ इस्तीफा देकर निजी संस्थानों में जा रहे हैं तो कई सेवानिवृत्त हो गए हैं।

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अब हालत यह है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी से केजीएमयू और लोहिया संस्थान में इंडोक्राइनोलॉजी विभाग बंद हो गया है। इसके चलते शुगर और थायरॉयड के मरीजों का इलाज ठप पड़ा है। यही नहीं कोरोना काल खत्म होने के बाद जब मरीजों का लोड बढ़ेगा तो उन्हें निजी अस्पतालों के भरोसे रहना पड़ेगा।

संस्थानों में नौ माह से खाली पद भरने की कवायद नहीं हो रही है। मुख्यमंत्री ने ओपीडी शुरू करने की रणनीति बनाने का निर्देश दिया है। ऐसी स्थिति में ओपीडी चलने के बाद भी कई विभागों में मरीजों को राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।

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लोहिया संस्थान में संकाय सदस्यों के 131 पद खाली चल रहे हैं। इंडोक्राइनोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष गुच्च के इस्तीफे के बाद से यह विभाग बंद है। इसी तरह क्रिटिकल केयर मेडिसिन भी बंद हो चुका है, जबकि जनवरी से अब तक कार्डियोलॉजी, मेडिसिन विभाग सहित चार विभागों के वरिष्ठ संकाय सदस्य सेवानिवृत्त हो चुके हैं। यहां एमबीबीएस का चौथा बैच चल रहा है। ऐसे में इलाज के साथ पढ़ाई की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। मीडिया प्रभारी डॉ. श्रीकेश सिंह का कहना है कि मामला कोर्ट में होने की वजह से भर्ती प्रक्रिया रुकी हुई है।

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केजीएमयू में कई विभागों में पद खाली

यहां इंडोक्राइनोलॉजी विभागाध्यक्ष के इस्तीफे के बाद से यह विभाग बंद है। वहीं, काफी समय तक बंद रहे नेफ्रोलॉजी विभाग की जिम्मेदारी अब यूरोलॉजी के प्रो. विश्वजीत सिंह को सौंपी गई है। इसी तरह प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. एके सिंह के कुलपति बनने और प्रो. विजय कुमार के प्रधानाचार्य बनने के बाद यहां सिर्फ दो संकाय सदस्य बचे हैं।

सीटीवीएस, न्यूरो सर्जरी जैसे विभागों में मरीजों की संख्या ज्यादा है, लेकिन संकाय सदस्यों के पद खाली हैं। दंत संकाय में सृजित पीडियाट्रिक एवं प्रिवेंटिव डेंटिस्ट्री विभाग में पांच पदों पर भी नियुक्ति नहीं की जा सकी है। यहां संकाय सदस्यों के करीब 300 पद खाली हैं। मीडिया प्रभारी डॉ. सुधीर सिंह का कहना है कि खाली पदों पर संविदा के आधार पर फरवरी में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन कोरोना की वजह से रुकावट आई है। इस प्रक्रिया को शुरू करने की तैयारी चल रही है।

पीजीआई में जटिल सर्जरी की वेटिंग लिस्ट बढ़ी

पीजीआई में क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. एके बरौनिया ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है। उन्हें यूपी में क्रिटिकल केयर का जन्मदाता बताया जाता है। उनके जाने के बाद से विभाग में तीन संकाय सदस्य बचे हैं।

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