लखनऊ : लाखों ज़िंदगियों को संकट में डालने वाले लापरवाह सीएमओ नरेंद्र अग्रवाल पर सीएम योगी कब करेंगे कार्यवाही ?

लखनऊ : महाराष्ट्र से आ रहे अयोध्या के 42 वर्षीय श्रमिक की मंगलवार रात विशेष ट्रेन में मौत के मामले में जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है. स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने नियम दरकिनार कर कोरोना की जांच रिपोर्ट आए बगैर आधी रात को शव का पोस्टमार्टम करा दिया। जबकि डॉक्टरों व स्टाफ ने कोरोना रिपोर्ट के इंतजार की बात कही लेकिन उनकी नहीं सुनी गई.

पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिया गया. वहीं बुधवार दोपहर कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव होने की खबर आई तो अफसरों के होश उड़ गए. सीएमओ का कहना है कि सिविल अस्पताल व पोस्टमार्टम हाउस के स्टाफ को क्वारंटीन कर दिया गया है.

मगर हमारा सीएमओ साहब से यही पूछना है कि श्रमिक के पोस्टमार्टम में इतनी जल्दी क्यों दिखाई गई ?

अगले आदेश तक पोस्टमार्टम हाउस भी बंद कर दिया गया है:-

मंगलवार रात ट्रेन चारबाग पहुंची तो जीआरपी ने शव मोर्चरी भेजा। पोस्टमार्टम हाउस के सूत्रों का कहना है कि डीएम और सीएमओ कार्यालय ने रात को पोस्टमार्टम करने के निर्देश दिए इसके लिए सिविल के 2 डॉक्टर 3 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई इन्होंने पहले कोरोना कि जांच रिपोर्ट आने की बात कही लेकिन अधिकारी नहीं माने.

बुधवार दोपहर रिपोर्ट पहुंची तो सबके होश उड़ गए. सीएमओ डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल का कहना है कि श्रमिक के कोच में सवार यात्रियों की सूची मंगाई गई है. महाराष्ट्र से आ रहे श्रमिक की ट्रेन में मौत और उसके शव के पोस्टमार्टम तक ना जाने कितने लोग संपर्क में आए इसका अनुमान लगाना संभव नहीं नजर आ रहा है.

ट्रेन में श्रमिकों के साथ कितने लोग थे जो कि संक्रमित होकर घर से बाहर संक्रमण फैला रहे हैं ?

शव उठाने वाले जीआरपी कर्मचारी जिसमें शव लाया गया उसके चालक परिचालक मर्चरी में रखें शव के संपर्क में आने वाले डॉक्टर कर्मचारी शव ले जाने वाले मृतक के करीबियों से लेकर लंबी संख्या बन रही है. ऐसे में बड़ा सवाल यह भी उठता है पोस्टमार्टम हाउस बंद कर दिया गया है लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया कि रोज आने वाले शव को कहां रखा जाएगा? बीते 56 दिन में पोस्टमार्टम हाउस में रोजाना 20 से 25 शव आ रहे हैं.

कई दिनों से भूखा प्यासा था श्रमिक, पोस्टमार्टम में खाली मिला पेट?

ट्रेन में मृत मिले श्रमिक का जब पोस्टमार्टम किया गया तो उसका पेट खाली मिला पेट में पानी तक नहीं था. रिपोर्ट के मुताबिक श्रमिक की मौत सोमवार दोपहर किसी वक्त हुई होगी। पोस्टमार्टम हाउस में श्रमिक के शव के पोस्टमार्टम के बाद बुधवार को 23 शवों के पोस्टमार्टम हुए. इसमें कुछ सीतापुर और बाराबंकी के भी थे. इन सभी शवों को ले जाने वाले परिवारजन और इनके क्रियाकर्म में शामिल लोगों में संक्रमण की आशंका पैदा हो गई है.

वहीं बिना किसी एतियात के ही शव को परिवारजनों को सुपुर्द कर दिया गया. इनके भी संक्रमित होने की पूरी आशंका है.

आखिर क्यों 2 घंटे भी इंतजार नहीं कर पाए सीएमओ कार्यालय के अधिकारी :-

केजीएमयू पैथोलॉजी में 2 घंटे में कोरोना की जांच रिपोर्ट आ जाती है इसके बाद भी अफसरों ने बिना रिपोर्ट का इंतजार किए देर रात शव का पोस्टमार्टम करवा दिया। सीएमओ कार्यालय के निर्देश पर शव का पोस्टमार्टम किया गया था.

सीएमओ ने प्रोटोकॉल तोड़कर क्यों करवाया श्रमिक का पोस्टमार्टम :-

स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने प्रोटोकॉल को तोड़कर पोस्टमार्टम करवाया। इससे काफी बड़ी संख्या में लोगों के संक्रमित होने की आशंका है. नियम यह है कि सूरज ढ़लने के बाद किसी का भी पोस्टमार्टम नहीं किया जाता और किसी भी कोरोना संदिग्ध मरीज की मौत होने पर पहले उसकी जांच करवाना जरुरी होता है जबकि इस मामले में अफसरों ने जगह-जगह लापरवाही की.

मंगलवार शाम चारबाग स्टेशन पर ट्रेन रुकवा कर शव को उतार लिया गया. जीआरपी के दो पुलिसकर्मी शाम में ही शव लेकर केजीएमयू के पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे थे. वहां के स्टाफ का आरोप है कि रात में आनन-फानन में पोस्टमार्टम करवा दिया गया. इसके लिए सिविल अस्पताल से दो डॉक्टरों को रात में ही पोस्टमार्टम ड्यूटी के लिए भेजा गया लेकिन बुधवार दोपहर तक रिपोर्ट पॉजिटिव आई. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया.

सीएमओ ने पहले ही भी दिखाई है असंवेदनशीलता :-

इससे पहले भी चंदन हॉस्पिटल वाले मामले में भी अस्पताल प्रशासन ने सीएमओ को कटघरे में खड़ा कर दिया था. प्रेस विज्ञप्ति में सारी जानकारी सार्वजनिक किया था. दूसरे जिलों के सीएमओ पर हो रही है कार्यवाही पर चूँकि यहां के सीएमओ साहब के राजनीतिक संबंध गहरे हैं इस वजह से इतने बड़े बड़े मामलों के बाद भी कोई कार्यवाही नही और एक बात और ध्यान दीजिएगा कि अगर आप सीएमओ को ज़्यादा फ़ोन करेंगे तो वो नंबर ब्लॉक करने में ज़्यादा देर नही करते हैं.

दहशत में है पोस्टमार्टम करने वाले मेडिकल स्टाफ के परिवारजन :-

कोरोना पॉजिटिव श्रमिक का पोस्टमार्टम करने वाले मेडिकल स्टाफ के परिवारजन दहशत में हैं. हालाकिं डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को क्वारंटीन कर दिया गया है, इसके बावजूद इनके परिवार वाले कोरोना के नाम से ही दहशत में आ गए हैं. सीएमओ डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल की एक लापरवाही से इनके पूरे परिवार पर संकट के बादल छाये हुए हैं.

सीएम योगी आदित्यनाथ और अपर प्रमुख सचिव गृह की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं सीएमओ :-  

सीएम योगी आदित्यनाथ और अपर प्रमुख सचिव गृह अवनीश अवस्थी दिन रात एक करके प्रदेश को कोरोना मुक्त बनाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं मगर लखनऊ सीएमओ सबकी मेहनत पर पानी फेर रहे हैं. सीएमओ लखनऊ की लापरवाही से कितने परिवार संकट में आ जायेंगे इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते।

क्या सीएम योगी इस लापरवाह सीएमओ पर करेंगे कार्यवाही :- 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्या ऐसे लापरवाह सीएमओ पर कोई कार्यवाही करेंगे अगर हाँ तो कब ? क्या लापरवाह सीएमओ को इतनी बड़ी लापरवाही की सजा नहीं मिलेगी ? ये एक बड़ा सवाल खड़ा होता ?

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