कृष्ण और राधा के दरबार में होली का त्योहार शुरु जाने कब खेली जाएगी लठमार होली ?

श्रद्धालुओं का आना जाना बरासना में शुरु हो गया है।होली का मजा लेने के लिए लोगों की भीड़ लगी हुई है। सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है।

 मथुरा : कृष्ण और राधा के दरबार में होली का त्योहार शुरु हो गया है। बृज की होली को देखने दुनियाभर से लोग बरसाने की होली देखने आते हैं क्योंकि यहां केवल रंगों से होली नहीं बल्कि लड्डुओं फूलों की लठमार होली खेली जाती है। श्रद्धालुओं का आना जाना बरासना में शुरु हो गया है।होली का मजा लेने के लिए लोगों की भीड़ लगी हुई है। सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है।

आइए जानते हैं आखिर कैसी है यह परंपरा और कैसे हुआ इसका शुभारंभ

वीओ- मथुरा के बरसाना में विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली खेलने के लिए दूर-दूर से लोग मथुरा पहुंच रहे हैं। होली का यह पर्व प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। राधारानी के गांव बरसाना और कान्हा के गांव नंदगांव के ग्वाला लठमार होली खेलते हैं. इस मौके पर उनका स्वागत भाग और ठंडाई पिलाकर किया जाता है।यहां लड़के अपने सिर पर पाग यानी पगड़ बांध कर खुद को लट्ठमार होली खेलने के लिए तैयार करते हैं।और इस दिन महिलाएं पुरुषों को लठ यानी डंडे से पीटती हैं लेकिन वे प्यार से पिटाई करती हैं ताकि कोई चोट न लगे। डंडों से बचाव के लिए पुरुष ढ़ाल का उपयोग करते हैं।

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इस त्योहार के पीछे पौराणिक इतिहास छुपा है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण मधुरा के नंदगांव से बरसाना में राधा के साथ होली खेलने आते थे। इस दौरान एक तरफ कृष्ण के सखा होते थे तो दूसरी तरफ राधा की सखियां होती थीं। इस दौरान राधा अपनी सखियों के साथ लठ लेकर कृष्ण और उनके साथियों पर डंडे बरसाती थीं। इस दौरान त्योहार और प्यार दोनों का दृश्य काफी अद्भुत होता था। राधा आपने चहेते कृष्ण को प्यार से लठ मारकर सालभर में की गई गलतियों का बदला लेती थीं। तभी से यह त्योहार हर साल मनाया जाता है। खासकर मथुरा और वृंदावन में इस त्योहार को जोरों-शोरों से मनाया जाता है।

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