लखनऊ : SIT जांच के नाम पर क्या छुपाना चाहती है योगी सरकार: संजय सिंह

लखनऊ : आम आदमी पार्टी के सांसद और उत्तर प्रदेश के प्रभारी संजय सिंह ने हाथरस प्रकरण को लेकर पार्टी के प्रदेश कार्यालय में शनिवार को पत्रकार वार्ता की।

पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए आप सांसद और प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने कहा योगी सरकार जानबूझ करके हाथरस की गुड़िया काण्ड के दोषियों को बचाने में लगी और केस को कमज़ोर कर रही है| उन्होंने कहा की कि मरने से पहले दिए गए बयान को सुप्रीम कोर्ट भी मजबूत साक्ष्य मानता है और यहां तो हाथरस की बच्ची मरने के पहले अपने गुनाहगारो के नाम बताये|

और इतना ही नहीं 22 सितंबर की अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की मेडिको लीगल रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है कि बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ।फिर भी प्रदेश की योगी सरकार इसको मानने को तैयार नहीं है।

उन्होंने आगे कहा की सरकार ने शव के साथ सबूतों को जलाया| बच्ची का अंतिम संस्कार भी नहीं हुआ क्यूंकि आनन फानन में उसके शव को पेट्रोल दाल के जला दिया गया|

उन्होंने कहा कि सुशांत सिंह के मामले में तो एक ही दिन में सीबीआई का नोटिफिकेशन निकल आता है। अगले दिन जांच भी शुरू हो जाती है और सीबीआई की टीम जांच करने पहुंच जाती है,लेकिन हाथरस की बच्ची के मामले में 7 दिन हो गए,अभी तक नोटिफिकेशन क्यों नहीं निकला? इससे साफ है कि योगी सरकार की नियत में ही खोट है। योगी सरकार अपनी SIT जांच के नाम पर दोषियों को बचाने में जुटी है। इस सरकार को दलित समाज की गरीब बच्ची के परिवार के दुख दर्द से कोई मतलब नहीं है। भाजपा व योगी सरकार की सोच ही दलित विरोधी है।

प्रदेश प्रभारी ने कहा कि सरकार साजिश कर खबर छपवा रही है कि दलित बच्ची की हत्या में उसकी ही मां और भाई का हाथ है। मीडिया, मेडिकल कॉलेज की 22 सितंबर की दुराचार की पुष्टि की रिपोर्ट को नहीं छाप रहा। मीडिया में जम्मू के कठुआ में हुए बच्ची के साथ बलात्कार मामले में दुष्कर्म न होने की खबर छापी थी लेकिन अदालत से दोषियों को सजा हुई। श्री सिंह ने सवाल उठाया कि आखिर यह साजिश क्यों रची जा रही है? सरकार दलित परिवार की बच्ची को न्याय क्यों नहीं दिलाना चाहती? और दोषियों को क्यों बचाना चाहती है?

उन्होंने कहा कि हत्या और बलात्कार की जांच तथ्यों के आधार पर होती है, लेकिन योगी सरकार इसको झूठलाकर दलित परिवार के ही चरित्र हनन पर जुटी हुई है। हाथरस की घटना को लेकर बाल्मीकि, जाटव, दलित, सोनकर, पासी समाज समेत पूरे देश की जनता में आक्रोश है। वही योगी सरकार की ओर से इस जघन्य अपराध को अंतर्राष्ट्रीय साजिश और दंगा फैलाने की कोशिश बतया जा रहा है जो अपने आप में हास्यापद है।उन्होंने सरकार से सवाल किया की आखिर योगी जी को दलित समाज से इतनी नफरत क्यों है?

आप सांसद ने कहा कि अब तो हाथरस की बच्ची के परिवार का हाल-चाल जानने के लिए जाने में भी डर लगता है कि कहीं दंगाई पार्टी,नफरत फैलाने वाले लोग कुछ करवा कर उसका इल्जाम विपक्ष पर मढ़ सकते है हमको दोषी बता सकते है । उन्होंने कहा कि हंसी भी आती है और अफसोस भी होता है कि जाति,धर्म की राजनीति करने वाले लोग ये आरोप विपक्ष पर लगाते हैं। उन्होंने कहा कि नार्को टेस्ट का आदेश अदालत करती है, सरकार नहीं।

योगी सरकार सीबीआई जांच तो शुरू करवा नहीं रही, उल्टे परिवार का ही नार्को टेस्ट कराने की बात कह रही है।प्रदेश प्रभारी ने कहा कि हाथरस की बच्ची को योगी के उत्तर प्रदेश में न्याय मिलना संभव नहीं है। ऐसे में आम आदमी पार्टी की मांग है कि पूरे प्रकरण की सुनवाई किसी अन्य प्रांत में स्थानांतरित की जाए और सीबीआई जांच सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की मानिटरिंग में कराई जाए।

इस अवसर पर आम आदमी पार्टी के प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी, प्रदेश महासचिव दिनेश पटेल, प्रदेश उपाध्यक्ष सरबजीत सिंह मक्कड़ और आम आदमी पार्टी छात्र विंग के प्रदेश अध्यक्ष वंशराज दूबे सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे |

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