अब तक खीरी हिंसा में क्या हुआ? किसानों की मांग, पुलिस का रवैया यहां जाने सब कुछ
मान ली गयी किसानों की सभी मांगे, आशीष मिश्रा के खिलाफ दर्ज हुआ हत्या और आपराधिक साजिश का मुकदमा,टिकैत ने बताया नैतिक जीत
लखीमपुर खीरी: यूपी के लखीमपुर खीरी में किसान तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे। इस दौरान हुई आठ लोगों की मौत के एक दिन बाद, केंद्रीय गृह राजयमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। मंत्री पर भी आपराधिक साजिश का भी मामला दर्ज हुआ है।
रविवार को मारे गए लोगों के शवों का अंतिम संस्कार करने से प्रदर्शनकारियों ने इनकार कर दिया था। इसके बाद किसान नेता राकेश टिकैत और यूपी प्रशासन के अधिकारियों के बीच स्थिति को नियंत्रण में रखने की बातचीत चली।
जिसके बाद प्रदर्शनकारी किसानों और प्रशासन के बीच गतिरोध सोमवार दोपहर तक एक बैठक के बाद सुलझा लिया गया। सरकार ने उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक जांच, मृतकों के परिजनों को 45-45 लाख रुपये का मुआवजा और शोक संतप्त परिवारों को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है।
अजय मिश्रा और आशीष मिश्रा के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर
एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया, “आठ मौतों की पुष्टि की गई है, जिसमें एक पत्रकार भी शामिल है। घटनास्थल के थाने तिकुनिया पुलिस स्टेशन में क्रॉस एफआईआर दर्ज की गई है। एक प्राथमिकी (एफआईआर) किसानों के परिवारों द्वारा,अजय मिश्रा के खिलाफ आपराधिक साजिश के लिए तथा आशीष मिश्रा के खिलाफ हत्या, लापरवाही से मौत का कारण और आपराधिक साजिश के लिए दर्ज कराई गयी।”
दूसरी प्राथमिकी, मारे गए चालक के परिवार द्वारा, अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ, दंगा करने के लिए दर्ज कराया गया है। “रिपोर्ट दाखिल करने तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी।”
हालांकि, भारतीय सिख संगठन के अध्यक्ष जसबीर सिंह विर्क ने संख्या पर विवाद किया। जब उनसे पूछा गया कि दो लोगों को प्रदर्शनकारियों ने भी पीट-पीट कर मार डाला तो उन्होंने बताया की उन लोगों ने किसानों पर गोलियां चलाई थीं। आत्मरक्षा में किसानों ने ये कार्रवाई की। वे शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहे थे। किसी को मारने का उनका कोई इरादा नहीं था।
विपक्ष को नहीं करने दिया गया खीरी में प्रवेश,
जिले में रविवार रात से ही निषेधाज्ञा लागू है। इंटरनेट सेवाएं ठप हैं। सोमवार को गांव का दौरा करने की कोशिश करने वाले राजनीतिक प्रतिनिधियों को रोक दिया गया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी लखनऊ आने वाले थे लेकिन उन्हें लखनऊ में उतरने से रोका दिया गया। किसी भी राजनीतिक प्रतिनिधि को तिकुनिया में प्रवेश करने की अनुमति से रोक दिया गया।
इसी बीच भारतीय किसान संघ (बीकेयू) प्रमुख नरेश टिकैत ने भाजपा सदस्यों को इलाके के गांवों का दौरा न करने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “मैंने भाजपा के किसी भी सांसद या विधायक को गांवों में नहीं बुलाने की अपील की है। इन नेताओं का दूर रहना ही बेहतर है या वे किसी भी अप्रिय घटना के लिए जिम्मेदार होंगे।”
किसानों की थी यह मांगे, मांग हुई पूरी
बनबीरपुर के एक स्कूल में सुबह साढ़े पांच बजे शुरू हुई बैठक में टिकैत, विर्क व अन्य किसान नेताओं ने कई मांगे उठाई थी। इसमें अजय मिश्रा को बर्खास्त करने,14 दिन में जांच पूरी करके सभी आरोपितों को गिरफ्तार करने और घटना में मारे गए प्रत्येक किसान परिवारों को 1 करोड़ रु. व परिवारों के लिए सरकारी नौकरी के मुआवजे मांग की गयी थी।
इसके बाद किसान नेता राकेश टिकैत और प्रशासन के बीच एक बैठक हुई। बैठक में एडीजी प्रशांत कुमार, ओम अरविंद कुमार चौरसिया और खीरी एसपी विजय ढुल मौजूद थे। आठ घंटे तक कई दौर की बातचीत के बाद, एक आम सहमति बनी।
“मामले की न्यायिक जांच की जाएगी। इसकी अध्यक्षता एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश करेंगे जो हिंसा की जांच करेंगे। मरने वालों के परिवारों को मुआवजे के रूप में 45 लाख रुपये मिलेंगे। प्रत्येक किसान के मृतक परिवार में एक-एक सरकारी नौकरी दी जाएगी। घायलों में प्रत्येक को 10 लाख रुपये दिए जाएंगे।
एडीजी कुमार ने कहा। “जिसके पास कोई सबूत है उसे जांच समिति से संपर्क करना चाहिए।”
टिकैत ने कहा हुई नैतिक जीत
बैठक के बाद टिकैत ने किसानों से कहा कि वे शव सौंप पुलिस प्रशासन को सौंप दें। लखीमपुर खीरी जिला अस्पताल में पांच डॉक्टरों का एक पैनल रविवार को मरने वाले सभी लोगों का शव परीक्षण कर चूका है। टिकैत ने कहा है कि यह एक नैतिक जीत है। अगर सरकार न्याय नहीं करती है और अपनी बात पर कायम रहती है, तो हम फिर से विरोध शुरू करेंगे। उन्होंने अंतिम संस्कार के 13 वें दिन एक सामूहिक बैठक की घोषणा की है।
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