भुखमरी के कगार पर पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बुनकर, गहने-घर गिरवी रखकर पेट पालने को मजबूर …..

भुखमरी के कगार पर पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बुनकर, गहने-घर गिरवी रखकर पेट पालने को मजबूर…..

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बुनकरों की हालत बदहाल है। कभी बुनकर यहां की शान थे लेकिन बीते कुछ महीनों से स्थिति बुरी हो गई है। फिर कोरोना और लॉकडाउन ने इनकी कमर तोड़ दी। पावरलूम और हैंडलूम बंद पड़े हैं। बुनकर भुखमरी की कगार है। बुनकर मजदूर दूसरों की मदद के सहारे जी रहे हैं……..

प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पावरलूम बुनकरों ने फिक्स रेट को खत्म करके मीटर रीडिंग के माध्यम से भुगतान के फैसले के विरोध में 1 जुलाई से 7 जुलाई तक सांकेतिक हड़ताल पर चले गए हैं। बुनकरों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो हड़ताल जारी रहेगी।

कई लोगों ने कर्ज लेकर और गहने गिरवी रखकर छोटी-मोटी दुकान शुरू कर दी है ताकि कुछ गुजारा हो सके। हालत यह है कि एक दिन अगर खाने का जुगाड़ हो भी जाए तो दूसरे दिन क्या होगा, कैसे होगा, इसका कुछ अंदाजा नहीं। अपनी बदहाली और सरकार की अनदेखी से नाराज बुनकरों ने कल 1 जुलाई से आगामी 7 जुलाई तक सांकेतिक हड़ताल पर जाने का फैसला करके हड़ताल कर दिया है।

बुनकरों ने की बिजली बिल में सब्सिडी की मांग:-

वाराणसी में पावरलूम बुनकरों की इस वक्त सबसे बड़ी मांग बिजली बिल में सब्सिडी को लेकर है जिसमें इस साल जनवरी से बदलाव कर दिए गए हैं। दरअसल पिछले साल दिसंबर योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने तय किया था कि अब पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट की बजाय हर महीने मीटर रीडिंग के हिसाब से बिल तैयार होगा और एक निश्चित संख्या तक बिल में छूट दी जाएगी।

‘इतना ज्यादा बिल देंगे तो मजदूरों को क्या देंगे’………

कारीगरों का कहना है -, ‘जो बिजली का बिल हम अब तक महीने में 150 रुपये देते थे वो अब 2500 या 3000 रुपये तक आ जाएगा। यह तो मेरी जेब से जाना शुरू हो जाएगा। ऐसे में ना तो हम किसी को काम दे पाएंगे, न कोई कारीगर काम कर पाएगा और न वह अपना पेट पाल पाएगा।’

‘कारीगरों के अनुसार – लॉकडाउन खुलने के बाद धीरे-धीरे काम शुरू हुआ, तो लोग बकाया बिल जमा करने पहुंचे। लेकिन वहां कह दिया गया कि जनवरी से अब मीटर रीडिंग होगी और 10 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली का बिल लिया जाएगा। लॉकडाउन में वैसे ही बुनकरों के खाने के लाले पड़े थे और इससे वह और कर्ज में चला गया है।’

मुलायम सरकार ने दिया था फ्लैट रेट का तोहफा………

साल 2006 में तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी की सरकार ने प्रदेश के बुनकरों को सब्सिडी के साथ फ्लैट बिजली रेट का गिफ्ट दिया था। योजना के तहत 0.5 हॉर्स पावर वाले लूम के लिए बुनकर से 65 रुपये चार्ज किया जाता थे वहीं एक हॉर्स पावर लूम के लिए बुनकर से 130 रुपये हर महीने लिए जाते थे। 10 साल तक बुनकरों को सब्सिडी का लाभ मिला लेकिन 2015-16 में योजना हथकरघा व वस्त्रोद्योग विभाग के हवाले हो गई।

हथकरघा विभाग पर करोड़ों का बकाया………

बुनकरों को बिजली की सब्सिडी देने के लिए विभाग को सालाना 150 करोड़ रुपये का बजट आवंटित है लेकिन बिजली रेट बढ़ने से सब्सिडी की धनराशि बढ़ते-बढ़ते सालाना 950 करोड़ रुपये पहुंच गई थी। इसकी वजह से 31 मार्च 2018 तक हथकरघा विभाग पर ऊर्जा विभाग का 3682 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया हो गया था। वहीं कई अनियमितताओं की खबर भी आई थी।

योगी कैबिनेट ने लिया फैसला

योगी सरकार ने पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट पर विद्युत आपूर्ति के चलते सब्सिडी के बढ़ते बोझ से निजात पाने और गलत इस्तेमाल रोकने के लिए योगी सरकार ने योजना में बदलाव करने का फैसला किया। इसके तहत अब पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट की बजाय हर महीने बिजली यूनिट की एक निश्चित संख्या तक बिल में छूट दी जाएगी। छोटे पावरलूम (0.5 हॉर्स पावर तक) को 120 यूनिट और बड़े पावरलूम (एक हॉर्स पावर तक) को 240 यूनिट हर महीने की सीमा तक 3.5 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली रेट में छूट दी जाएगी। – ( इसे भी GFX पर चलाएं )

बुनकरों की मांग- समाजवादी पार्टी सरकार के ‘2006 वाला फ्लैट रेट कर दिया जाए’

कारीगरों के अनुसार ‘लॉकडाउन में तो सरकार ने कोई मदद नहीं की। पावरलूम में स्किल्ड लेबर हैं। इससे काफी विदेशी मुद्रा का अर्जन होता है। टूरिज्म को बढ़ावा मिलता है। 12 हजार करोड़ रुपया जीएसटी सरकार को टेक्सटाइल से मिल रहा है लेकिन सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है।’ जुबैर ने कहा, ‘हमारी मांग है कि पावरलूम बुनकरों के लिए बिजली का फिक्स्ड रेट तय कर दिया जाए जैसे 2006 में था।’

‘सरकार 1.25 करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात कर रही है लेकिन जो मशीनें, कल कारखाने, स्किल्ड लेबर पहले से हैं, उस पर ध्यान न देकर नई चीजों पर ध्यान दिया जा रहा है ये एक चिंता का विषय है।’
बुनकरों का कहना है कि पूरे प्रदेश में दो लाख 56 हजार से अधिक पावर लूम मशीन हैं। सरकार ने फैसला नहीं बदला तो इनका चल पाना संभव नहीं होगा।

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