सूखे बुंदेलखंड में पानी की सियासत…
सियासत के गलियारे से लेकर अपराध के गठजोड़ तक बुंदेलखंड हमेशा से चर्चा में रहा है।
सियासत के गलियारे से लेकर अपराध के गठजोड़ तक बुंदेलखंड हमेशा से चर्चा में रहा है। लेकिन इन दिनों दो राज्यों में बटे बुंदेलखंड के उत्तर प्रदेश वाले इलाके में चुनावी चर्चा जोरों पर है । इस चुनावी शोर में पार्टियों के मुद्दों में बुंदेलखंड की गरीबी और पानी संकट का शोर भी खूब हो रहा है । बुंदेलखंड की तक़दीर और तस्वीर बदलने के लिए बुंदेलखंड विकास बोर्ड बनाने के नाम पर सरकार में आई बीजेपी चुनाव बीत जाने के बाद सारे वादे दावे भूल गई…..अब जब फिर चुनाव नजदीक है तो सबको बुंदेलखंड और बुंदेलखंड के विकास और गरीबी की याद आई है….वहीं बाकी पार्टियां भी इसी लहजे में बुंदेलखंड की जनता को छलते आई है भाजपा कहती थी कि इतना पानी देंगें की बुंदेलखंड के किसान दो फसल आसानी से ले सकेंगें……. पर राजनैतिक दलों के राजनैतिक स्वांग में बुंदेलखंड के असल मुद्दे दफ़न हो कर रह गए ।
यूपी चुनाव की तैयारियों में जुटे अखिलेश यादव:-
यूपी चुनाव की तैयारियों में जुटे अखिलेश यादव भी पिछले दिनों बुंदेलखंड में अपनी रथयात्रा लेकर पहुंचे…रथयात्रा में लोगों का उत्साह और भरपूर समर्थन देखने को मिला…इस दौरान सपा प्रमुख ने जनसभा में नोटबंदी से लेकर कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन तक का मुद्दा उठाया। चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा खाद की समस्या पर चुटकी ली। उन्होंने कहा, ‘यहाँ तो खाद के लिए किसानों की जान चली गई कोई सोच नहीं सकता कि खाद के लिए किसान घर से निकले हो और उन्हें जान देनी पड़ी हो। दुनिया में ऐसा कहीं नहीं हैं। किसान के सामने संकट हैं वो फसल पैदा नहीं कर पाते।”
उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में ललितपुर, झांसी, जालौन, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट और बांदा जिले आते हैं। इन जिलों की कुल 19 विधानसभा सीटें हैं, विधानसभा 2017 के चुनाव में बीजेपी का पूरी तरह के सभी सीटों पर कब्जा हैं। वहीं सपा बसपा और कांग्रेस का सूपड़ा साफ था।
इसमें जालौन जिले में तीन, झाँसी में चार, ललितपुर में दो, हमीरपुर में दो, महोबा में दो, बांदा में चार और चित्रकूट में दो विधानसभा की सीटें हैं। 2017 में भाजपा ने बुंदेलखंड में अपनी राजनीतिक जड़ें इस कदर मजबूत कर ली थी कि 2019 में सपा और बसपा गठबंधन की चूलें हिल गयी। लेकिन दिसंबर के पहले ही दिन समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी बुंदेलखंड में अपना विजयरथ ले उतर चुके हैं और बांदा, चित्रकूट के बाद 3 दिसंबर झांसी में अपने बुंदेलखंड दौरे का समापन कर क्षेत्र का दौरा कर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
बुंदेलखंड का इलाका भले ही सूखे की किल्लत से जूझता रहा हो, पर यहां की राजनीति की सूखे और पीने की पानी को लेकर फलती फूलती रहती है. बुंदेलखंड में कभी सूखा राजनीति का मुद्दा बन जाता है तो कभी पीने का पानी, वाटर ट्रेन और घास की रोटियां. यहां चुनाव जीतने के लिए भले ही जातीय समीकरण फिट किए जा रहे हों, लेकिन जनसभाओं में सभी नेता इन मुद्दों को हवा देते रहते हैं और अखिलेश यादव ने बुंदेलखंड के इसी दु:खती नस को दबा दिया है….चुनाव नतीजे क्या होंगें ये वक्त बताएगा लेकिन ये तो तय है कि यूपी की सियासत बुंदेलखंड का पानी और सूखा हमेशा राजनीति का केंद्र रहेगा
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