विकास से दूर है डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या का गृह जनपद कौशाम्बी

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार यूपी की योगी सरकार भले ही गाँवो को हर बुनियादी चीज़ों को देने के लिये सरकारी खजाने का मुंह खोल रखा हो लेकिन कौशाम्बी जिले में उनके ही प्रधान और सेक्रेटरी भरष्टाचार कर गरीबो के हक पर डाका डाल रहे हैं।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार यूपी की योगी सरकार भले ही गाँवो को हर बुनियादी चीज़ों को देने के लिये सरकारी खजाने का मुंह खोल रखा हो लेकिन कौशाम्बी जिले में उनके ही प्रधान और सेक्रेटरी भरष्टाचार कर गरीबो के हक पर डाका डाल रहे हैं।  कौशाम्बी जिले के नेवादा ब्लॉक के बिगहरा गांव के ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी की मनमानी के चलते आवंटित बजट खर्च होने के बावजूद भी प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन योजना औंधे मुँह पड़ी हुई है जिसका सबसे बड़ा कारण योजना के तहत शौचालय निर्माण के लिये आवंटित बजट को प्रधान पँचायत सेक्रेटरी द्वारा धरातल में खर्च न करके कार्य को कागजों तक ही सीमित कर देना रह गया है।

नेवादा ब्लॉक के बिगहरा गांव में मिली शिकायतों में लाल बहादुर नाई का घर 10 साल पहले गिर गया था और गांव के बाहर झोपड़ी डालकर रहते हैं और कई बार ग्राम प्रधान से शिकायत भी किया कि हमको प्रधानमंत्री आवास दे दें मगर आज तक नहीं दिए वीडियो नेवादा से कई बार एप्लीकेशन देकर कहा आवास के लिए कोई सुनवाई नहीं हुई चायल विधायक संजय गुप्ता से भी शिकायत की मगर आज तक आवास नहीं मिला है।

लाल बहादुर नाई का पूरा परिवार जिलाधिकारी से मिलकर शिकायत की जिलाधिकारी मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच करा कर आवास दिलाए जाने का आश्वासन दिए हैं और जिलाधिकारी ने तत्काल प्रभाव से वीडियो नेवादा और ग्राम प्रधान को आदेश दिए हैं कि लाल बहादुर नाई को ततकाल प्रभाव से प्रधानमंत्री आवास दिया जाए अन्यथा कडी़ से कडी़ कार्यवाही की जाएगी जिलाधिकारी कौशाम्बी के अश्वासन से ऐसे प्रतीत होता है कि गांव में जल्दी विकास होगा जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने ये भी कहा है की यदि मेरे पास इसकी सिकायत दोबारा आई तो ग्राम प्रधान और सीक्रेटरी के खिलाफ कार्रवाई कराने की बात कही भी कही है आपको बता दें की मजदूरी करके पेट भरते है ये गरीब परिवार मजदूरी में इतनी कमाई तो नहीं होती है कि वो पक्का मकान और शौचालय बनवा सके।पूजा का कहना है कि हमें मजबूरी में शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है। प्रधानमंत्री आवास भी नहीं दिया गया बरसात के चलते कभी-कभी काम भी नहीं मिलता तो भूखे पेट सोना पड़ता है इसी तरह गांव के लोग अपना परिवार चलते हैं। बारिश के चलते धंधा बहुत काम चलता है आय कम होने के बावजूद वो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ते है। सिर पर पक्की छत नहीं है, बल्कि सारपत की झोपड़ी में रहता है ये गरीब परिवार जिसमे बिजली भी नही है बच्चों को पढ़ने में दिक्कत न हो इसके लिए बैट्री से एक सीएफएल जलाते हैं सौभाग्य योजना के तहत मिलने वाली बिजली के बारे में पूछने पर कहते है कि कमाई इतनी नहीं है कि बिजली का बिल जमा किया जा सके। प्रधानमंत्री आवास और शौचालय आज तक नसीब नहीं हो सका नतीजतन यहाँ के बाशिंदे खुले में शौच करने को मजबूर हैं। वहीं सबसे अधिक असुविधाओं का सामना महिलाओं को करना पड़ रहा है. गांव में नाली खरंजा पानी बिजली की समस्या बनी हुई है जिलाधिकारी ने जांच का आदेश दिया प्रधान के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी गांव के लिए विकास के लिए पैसा आया है मगर सेक्रेट्रीरी और प्रधान की मिलीभगत से गांव में कोई विकास नहीं हो पाया है। प्रधान से बात करो तो उनका कहना है कि दुनिया चाँद पर चली गयी और आप लोग शौचालय के चक्कर मे पड़े है। जिसके कारण प्रधनमंत्री की खुले में शौच मुफ़्त करने का सपना पूरा होता नही दिख रहा है।

रिपोर्ट:-मानसिंह विश्वकर्मा

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