जब एक छोटे से देश ने अमेरिका को दिखाई थी आंख, आखिर में अमेरिका को ही माननी पड़ी हार
ऐसा ही एक युद्ध आज से करीब 65 साल पहले भी हुआ था। जोकि 20 साल तक चला था। असल में हम वियतनाम युद्ध की बात कर रहे है।
ऐसा कहा जाता है कि जब दो देशो के बीच में युद्ध होता है तो आखरी में किसी एक देश को हार का सामना करना पड़ता है, तो दूसरा देश विजय का बुगल बजाता है, पर इन दोनों देशों के बीच हुए युद्ध में सबसे ज्यादा असर मानवता पे पड़ता है, क्योंकि जब कभी भी युद्ध होता है तो वो हज़ारों लोगों की जिंदगी लेने के बाद ही खत्म होता है। फिर चाहे वो किसी भी प्रकार का युद्ध क्यों ना हो उसमे हमेशा मानवजाति की ही हार होती है। और जहां तक हमारे इतिहास की बात है तो इतिहास के हर पन्ने पे आपको युद्ध की वो खूनी तस्वीरें दिख जाएंगी।
फिर चाहे वो प्रथम विश्व युद्ध हो या दुतिया विश्व युद्ध हो जिसने दुनिया से कितनी प्रतिशत आबादी का खात्मा कर दिया था। जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने अपने पागलपन के चलते यहूदियों पे की गयी यातनाओं की एक नई गाथा लिख डाला। आज भी आपको यूरोप और जर्मनी में विश्व युद्ध के अंश मिल जायेंगे। जो आपको उस समय हुए नरसंहार की छवि अपने आप आँखों के सामने आ जाएँगी। कैसे कुछ लोगों ने पूरी दुनिया पे अपनी हुकूमत चलने के लिए लाशों का अंबार लगा दिया था।
ऐसा ही एक युद्ध आज से करीब 65 साल पहले भी हुआ था। जोकि 20 साल तक चला था। असल में हम वियतनाम युद्ध की बात कर रहे है। 20 साल चले इस युद्ध में खून की नदियां बही थी। अमेरिका और उत्तरी वियतनाम के लड़ाकों के बीच हुए इस युद्ध में पूरा वियतनाम तबाह हो गया था। इस युद्ध में भी ऐसा विश्व युद्ध की तरह ही विध्वंश हुआ था, और इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि इस युद्ध में अकेले 50 हज़ार अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई थी।
दुनिया में अपने वर्चस्प को बनाये रखने के लिए अमेरिका ने लाओस को कर दिया था नष्ट
वियतनाम युद्ध में अमेरिका को उस वक्त सबसे ज्यादा मिर्ची लगी जब लाओस जैसे छोटे से देश ने उत्तरी वियतनाम की सेना को अपनी धरती पर लड़ाई के लिए इजाजत दे दी। जिसके बाद तो अमेरिका गुस्से से बौखला गया और उसने लाओस जैसे छोटे से देश पे बमों की वर्षा कर डाली। आप को जानकर ताज्जुब होगा कि इस युद्ध में अमेरिका वायु सेना ने इस दक्षिण पूर्व एशियाई देश पे बमों की वर्षा कर डाली।
एक रिपोर्ट की माने तो अमेरिका ने साल 1964 से लेकर 1973 तक पूरे नौ साल लाओस में हर आठ मिनट में बम गिराए थे। उसी रिपोर्ट में इस बता का भी दावा किया गया है कि अमेरिकी सेना ने 1964 से 1973 तक अमेरिका ने लगभग 260 मिलियन यानी 26 करोड़ क्लस्टर बम वियतनाम पर दागे थे, जो कि इराक के ऊपर दागे गए कुल बमों से 210 मिलियन यानी 21 करोड़ अधिक हैं। एक अनुमान के मुताबिक, इस भीषण युद्ध में 30 लाख से भी अधिक लोग मारे गए थे।
अमेरिकी सरकार को अपने ही लोगों का झेलना पड़ा था विरोध
अमेरिकी सेना के इतने बड़े विध्वंशक होने की वजह से अमेरिकी लोगों ने अपनी ही सरकार का जमकर विरोध किया था। ऊपर से इतनी बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिकों की मौत भी विरोध का बड़ा कारण रही। जिसके चलते उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने अमेरिकी सेना को वियतनाम से वापस बुला लिया था। जिसकी वजह से कई इतिहासकार ऐसा भी मानते है कि इस युद्ध में अमेरिका की हार हुई थी।
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