दम तोड़ती उत्तर प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य सेवा…
दम तोड़ती उत्तर प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य सेवा ..
देश के सबसे सूबे उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर इलाज के दावे हमेश खोखला साबित होते हैं , ताजा हाल बीते 72 घंटो में आयी तीन तस्वीरों का है
ये तीन तस्वीरें – उत्तर प्रदेश के तीन अलग अलग जिलों की हैं – संभल , कन्नौज और हमीरपुर …..
https://youtu.be/NHwiVYDTRtg
पहली तस्वीर संभल जिले की , यहां सम्भल जिला सयुंक्त चिकित्सालय की बेशर्मी देखिए,तीन चार लोग एक बीमार महिला को हाथ ठेले पर लिटा कर संभल के जिला अस्पताल पहुँचते है आरोप है कि उक्त बीमार महिला का ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने वही प्राथमिक चेकअप किया और उसे मृत घोषित करते हुए गेट से चलता कर दिया
दूसरी तस्वीर – कन्नौज की है – ये कलेजा चीर देने वाली मार्मिक तस्वीर है , यहां अपने 4 साल के मासूम बच्चे की मौत के बाद उसे सीने से चिपकाये एक बेबस मजबूर पिता जमीन पर लेटा है और नियति के आगे मजबूर उस बच्चे की मां सिर पर हाथ रखे शून्य हो गयी है।
अब तीसरी तस्वीर देखिये – ये उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले की है – यहां सरकारी एम्बुलेंस नहीं मिलने के चलते प्रसूता को सड़क पर ही प्रसव करना पड़ा।
अब तफ्सील से पूरी कहानी सुनिए …..
उत्तर प्रदेश का संभल जिला .. यहां बीमार पड़ी महिला को पहले तो सरकारी एम्बुलेंस सेवा नहीं मिली , इसके बाद जब उसके परिजन उसे किसी तरह ठेले पर लाद कर संभल संयुक्त जिला चिकित्सालय पहुंचे तो वहां मौजूद डाक्टर साहब ने उसे अस्पताल गेट पर देख कर उसे मृत घोषित कर दिया , सरकारी उदासीनता का आलम ये कि…उसे भर्ती तक नहीं किया , अपस्ताल में भर्ती कराने के लिए तीमारदार परेशान रहे तब तक महिला दम तोड़ चुकी थी …
कन्नौज की आयी तो तस्वीरें आपके कलेजे को झिझोड़ कर रख देंगी , यहां सदर कोतवाली क्षेत्र के गांव मिश्रीपुर के प्रेम चंद्र के चार वर्षीय पुत्र अनुज को कई दिनों से बुखार था। रविवार को बुखार के चलते हालत बिगड़ी तो परिजन उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे।
काफी देर तक वह बच्चे को लेकर इधर उधर भटकता रहा। इसके बाद इमरजेसी में लेकर पहुंचा। अस्पताल प्रसाशन के लोग कह रहे थे कि बच्चे को इलाज के लिए कानपुर ले जाओ। जिसके बाद वह परेशान होकर बाहर घुमने लगा तभी कुछ मीडिया वाले आ गए। इसके बाद अस्पताल ने बच्चे को तुरंत भर्ती लिया लेकिन फौरन ही उसकी मौत हो गई। इस पर परिजनों ने जिला अस्पताल में हंगामा काटना शुरू कर दिया।
प्रेमचंद्र ने जिला अस्पताल के डाक्टरों पर आरोप लगाया कि कोरोना के चलते उसके बच्चे को इलाज नहीं दिया गया। इससे उसकी मौत हो गई। आधा घंटे तक हंगामा करने के बाद जानकारी सीएमएस को हुई तो उन्होंने परिजनों को समझाकर शव के साथ परिजनों को शव वाहन से घर भेजा …… हालांकि, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि बच्चा वायरल इन्सेफेलाइटिस का शिकार था और बहुत गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था। उसे इमरजेंसी में भर्ती कर डॉक्टर से इलाज कराने की कोशिश की गई लेकिन आधे घंटे में ही उसकी मौत हो गई ….लेकिन बच्चे को कलेजे से चिपकाये इस मजबूर पिता की ये तस्वीर रूह कंपा जाती है।
अगला मामला बुंदेलखंड के हमीरपुर का है , हमीरपुर ज़िले में सरकारी एम्बुलेंस चालको की मनमानी के कारण प्रसूता को घण्टो तक इंतजार करना पड़ा पर एम्बुलेंस चालक का फोन नही लगा।इसके बाद प्रसूता को सरकारी अस्पताल सिसोलर लाने के बाद कर्मचारी ने गेट नही खोला प्रसूता ने सड़क पर ही प्रसव करना पड़ा।सरकारी अस्पताल सिसोलर लाने के बाद पीएससी सिसोलर में कर्मचारियों ने गेट नही खोला।
जिसके चलते भीषण गर्मी में इस मां ने घण्टो इंतजार करना पड़ा ओर सड़क पर ही प्रसव कराना पड़ा। महिला सुरक्षा का नारा बुलंद करने वाली सरकार के राज की सच्चाई जानकर आप हैरान हो जायेंगे।एम्बूलेंस नही मिलने के कारण हुई मासूम की मौत को अभी एक सप्ताह ही हुआ है कि बदहाल स्वास्थ सेवाओं के कारण एक महिला.का सडक पर प्रसव कराना पडा………..
मामला हमीरपुर जनपद के सिसोलर का है जहां पर देवकुमार की पत्नी प्रियंका को बीती देरशाम प्रसव पीड़ा होने लगी।तो परिजनो द्वारा एम्बूलेंस को फोन लगाया गया।लेकिन घंटो प्रयास करने पर भी जब फोन नही लगा तो परिजन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिसोलर लेकर गये।लेकिन वहां पर भी लगभग एक घंटे शोर मचाने पर भी कर्मचारियों ने गेट नही खोला तो मजबूरी में सडक किनारे प्रसव कराना पडा।
जहां प्रियंका ने एक स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया।उसके बाद जब जच्चा की हालत खराब होने लगी तो वह लोग प्राईवेट गाडी कर मौदहा के सरकारी अस्पताल लेकर आये।जहां पर महिला का इलाज किया जा रहा है।फिलहाल जच्जा बच्चा दोनो.स्वस्थ हैं।जबकि पीडित पति ने जिला अधिकारी से शिकायत करने की बात कही है …
सरकार चाहे लाख दावे कर लें इतने बड़े सूबे में स्वास्थ्य सेवा बदहाल ही नहीं बदतर स्थिति में है , अगर हादसे का शिकार एंबुलेंस का इंतजार करते-करते सड़क पर दम तोड़ दे… अस्पताल में बिस्तर खाली ना होने की वजह से गर्भवती महिला जमीन पर बच्चे को जन्म देने को मजबूर हो जाए… तो यकीनन ये किसी भी समाज के लिए शर्मिंदगी और सरकार की क्षमताओं और उसकी संवेदनशीलता पर प्रश्नचिन्ह है। ….
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