वसंत ऋतु के आगमन की खुशी के बीच मनाया गया वसंत पंचमी पर्व, विद्या की देवी सरस्वती के
Vidya Devi Saraswati Puja :– वसंत ऋतु के आगमन की खुशी के बीच मनाया जाता है वसंत पंचमी पर्व।
- इस पर्व को विद्या की देवी सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है .
- और देश भर में शिक्षाविद् और छात्र मां शारदे की पूजा करते है .
- उनसे और अधिक ज्ञानवान बनाने की प्रार्थना करते हैं।
- वसंत पंचमी के दिन विद्यालयों में भी देवी सरस्वती की आराधना की जाती है।
- भारत के पूर्वी प्रांतों में तो इस दिन घरों में देवी सरस्वती की मूर्ति स्थापित करते हैं।
- और उनकी पूजा की जाती है।
- अगले दिन मूर्ति को नदी में विसर्जित कर दिया जाता है।
- देवी भागवत में उल्लेख मिलता है .
- कि माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही संगीत, काव्य, कला, शिल्प, रस, छंद, शब्द शक्ति जिह्वा को प्राप्त हुई थी।
- वसंत पंचमी पर पीले वस्त्र पहनने .
- हल्दी से सरस्वती की पूजा और हल्दी का ही तिलक लगाने का भी विधान है।
- पीला रंग इस बात का द्योतक है कि फसलें पकने वाली हैं .
- इसके अलावा पीला रंग समृद्धि का सूचक भी कहा गया है।
- इस पर्व के साथ शुरू होने वाली वसंत ऋतु के दौरान फूलों पर बहार आ जाती है .
- खेतों में सरसों सोने की तहर चमकने लगता है .
- जौ और गेहूं की बालियां खिल उठती हैं .
- और इधर उधर रंगबिरंगी तितलियां उड़ती दिखने लगती हैं।
- इस पर्व को ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।
- हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाए .
- जाने वाले इस त्योहार के दिन ही ब्रह्माण्ड के रचयिता ब्रह्माजी ने सरस्वती की रचना की थी।
- जिसके बारे में पुराणों में यह उल्लेख मिलता है .
- कि सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने मनुष्य योनि की रचना की .
- पर अपने प्रारंभिक अवस्था में मनुष्य मूक था और धरती बिलकुल शांत थी।
- ब्रह्माजी ने जब धरती को मूक और नीरस देखा तो अपने कमंडल से जल लेकर छिड़का .
- जिससे एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था।
- यह शक्ति सरस्वती कहलाईं।
- उनके द्वारा वीणा का तार छेड़ते ही तीनों लोकों में कंपन हो गया .
- और सबको शब्द और वाणी मिल गई।
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