वाराणसी : महिला से लूट, जान से मारने की धमकी, धोखाधड़ी व छेड़खानी के मामले में अभियुक्त को मिलीं जमानत

अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) राजीव कमल पाण्डेय की अदालत ने धोखाधड़ी कूटरचना, जातिसूचक अपमान जनक शब्दों का प्रयोग, हत्या की धमकी व थप्पड़

अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) राजीव कमल पाण्डेय की अदालत ने धोखाधड़ी कूटरचना, जातिसूचक अपमान जनक शब्दों का प्रयोग, हत्या की धमकी व थप्पड़ से मारने के बाद ब्लाउज फाड़ छेड़खानी करनें के मामले में भेलूपुर थाना निवासी आरोपित संतोष ओझा की जमानत याचिका मंजूर कर ली है। अदालत ने अभियुक्त द्वारा 50-50 हजार का व्यक्तिगत बंधपत्र व समान धनराशि के दो दो विश्वसनीय प्रतिभू दाखिल करने पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से यूपी बार कौंसिल के पूर्व चेयरमैन व वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर सिंह व मिथिलेश मिश्रा रहें।

अभियोजन पक्ष परिवाद कथानक के अनुसार परिवादिनी सरोज देवी के मायके दुर्गाकुण्ड में मजोज कुमार निवासी पिपलानी कटरा थाना चेतगंज आते-जाते थें। मनोज कुमार ने बताया कि उसके मित्र संतोष ओझा की जमीन मौजा भीटा, परगना रामनगर, वाराणसी में है जिसे वह विक्रय करना चाहते हैं। मनोज कुमार अप्रैल 2018 के प्रथम सप्ताह में उसे संतोष ओझा के साथ भीटी ले गए और जमीन दिखाएं। परिवादिनी मनोज व संतोष ओझा की बातों पर विश्वास करके उक्त जमीन का 680 वर्गफीट खरीदने को तैयार हो गई। परिवादी ने अपने मायके दुर्गाकुंड में दिनांक 24 अप्रैल 2018 को मनोज कुमार के हाथों संतोष ओझा को ₹300000 नगद बतौर बयाना दिया। संतोष ओझा ने परिवादिनी को उसके पति के नाम से ₹300000 की रसीद ₹100 के स्टांप पेपर पर लिखकर दिया। संतोष ओझा ने अपने जमीन की खतौनी परिवादिनी को दिया। परिवादिनी ने उक्त खतौनी की जांच कराई तो ज्ञात हुआ कि वह जमीन संतोष ओझा की नहीं है, बल्कि उक्त जमीन पर कई मुकदमे विचाराधीन है और वह जमीन विवादित है। उक्त बात की जानकारी होने पर परिवादिनी ने उक्त जमीन खरीदने से इंकार कर दिया और संतोष व मनोज से कहा कि उसका पैसा वापस कर दीजिए। इस पर मनोज व संतोष ओझा पैसा वापस करने में हीला हवाली करनें लगे। काफी तकादा करने पर संतोष ओझा व मनोज कुमार दिनांक 25 मार्च 2019 को सुबह 10:00 बजे उसके मायके दुर्गाकुंड आए और उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे परिवादिनी का पैसा वापस नहीं करेंगे। परिवादिनी ने कहा कि आप लोगों ने उसके साथ धोखाधड़ी कूटरचना करके उसका ₹300000 बेईमानी पूर्वक हड़प लिये है। इस पर संतोष ओझा परिवादी को मां बहन की भद्दी भद्दी गाली देते हुए जातिसूचक अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए कहे कि साली डोम चमार की जाति जुबान लड़ाती है, ज्यादा परेशान करेगी तो तुम्हारी हत्या करवा देगें। इतने में मनोज कुमार परिवादिनी को थप्पड़ से मारते हुए कमरे में ढकेल दिये और उसका ब्लाउज फाड़कर उसके साथ छेड़खानी करने लगे। परिवादिनी द्वारा शोर मचाने पर घर के अन्य सदस्य व उसके पिता छोटे लाल, भाई रोशन भारती व तमाम लोग इकट्ठा होकर बीच बचाव किए।

अदालत में अभियुक्त की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर सिंह व उनके सहयोगी मिथिलेश मिश्रा ने जोरदार बहस किया। हरिशंकर सिंह ने तर्क दिया कि प्रार्थी संतोष ओझा को महज जेरवार, परेशान व बेइज्जत करने की गरज से रंजिशन साजिश करके षड्यंत्र रचकर मनगढ़ंत कहानी बनाकर उक्त मुकदमे में झूठा फंसा दिया गया है। प्रार्थी बिल्कुल निर्दोष है और उसे उक्त घटना की कोई जानकारी नहीं है। प्रार्थी ने किसी के घर में घुसकर न मारा पीटा, न जान से मारने की धमकी दिया और न ही किसी के साथ छेड़खानी ही किया है। प्रार्थी को किसी भी ₹100 के स्टांप पर किसी भी प्रकार के लेनदेन के बारे में कोई जानकारी नहीं है और न ही उसने कोई लिखापढ़ी किया है। प्रार्थी का कोई अपराधिक इतिहास नहीं है। प्रार्थी के पलायित होने की कोई संभावना नहीं है। प्रार्थी उक्त मामले में आत्मसमर्पण के उपरांत अभिरक्षा में है।

Related Articles

Back to top button