वैष्णोदेवी हादसा: हनीमून से पहले डॉक्टर की मौत, इलेक्ट्रॉनिक घड़ी बनी मौत का कारण
शुक्रवार की देर रात जब उसकी पत्नी और दोस्त गुफा में घुसे और घड़ी लेने के लिए बाहर गए तो उसकी मौत हो गई क्योंकि वे इलेक्ट्रॉनिक घड़ी के साथ अंदर नहीं जा सकते थे।
वैष्णोदेवी हादसे में गोरखपुर के एक डॉक्टर की मौत से गांव में मातम छाया है। वह बहन में इकलौता भाई है। कोरोना के समय में डॉ. कोविड ने उन मरीजों की देखभाल के लिए दिन-रात काम किया। अरुण प्रताप सिंह (30) की शादी एक महीने पहले हुई थी। वह 29 दिसंबर को अपनी पत्नी और चिकित्सा मित्रों के साथ एक कार में वैष्णोदेवी गए थे। शुक्रवार की देर रात जब उसकी पत्नी और दोस्त गुफा में घुसे और घड़ी लेने के लिए बाहर गए तो उसकी मौत हो गई क्योंकि वे इलेक्ट्रॉनिक घड़ी के साथ अंदर नहीं जा सकते थे।
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दो बार के पूर्व मुखिया सत्य प्रकाश सिंह और तारा देवी के दो बच्चे डॉ. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के चौरी चौरा थाना क्षेत्र के एक बड़े गांव रामपुर निवासी अरुण प्रताप सिंह और उनकी बेटी प्रियंका सिंह। अरुण अपने घर का इकलौता चिराग है। करीब एक महीने पहले 1 दिसंबर को कुशीनगर जिले के पडरौना के पकपी गांव में रहने वाले डॉ. उनकी शादी अर्चना सिंह से हुई थी। 31 दिसंबर की रात जम्मू के वैष्णोदेवी में मची भगदड़ में उनकी मौत हो गई। अरुण प्रताप सिंह शहर के शाहपुर स्थित जेल बाइपास रोड पर हिंद अस्पताल चला रहे हैं। वह अपनी पत्नी के साथ शहर में रह रहा था। पैतृक चौरी चौरा गांव में माता-पिता रहते हैं।
शनिवार की देर रात चौरी चौरा के डिप्टी कलेक्टर अनुपम मिश्रा, एडीएम पुरुषोत्तम गुप्ता, तहसीलदार वीरेंद्र गुप्ता पुराने गांव रामपुर पहुंचे और पीड़ित परिवार से मिले। एसडीएम अनुपम मिश्रा ने कहा कि मां वैष्णो श्राइन बोर्ड पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये और सरकार की ओर से 2 लाख रुपये देगा। खराब मौसम के कारण शव सड़क मार्ग से लाए जा रहे हैं।
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