यूपी : अवैध खनन में कागज का खेल, कौन सा अधिकारी सच्चा है और कौन सा झूंठा

उप जिलाधिकारी महोदय की माने तो बालू कारोबारी बेचारे हैं और उन्होंने कोई भी चोरी नही की। जब की असल में हुआ क्या है वो मै अब आपको बताने वाला है।

बांदा : उत्तर प्रदेश के बांदा से एक ऐसा सनसनी खेज मामला सामने आया है जिसे सुनकर आप भी यह खाएंगे की वर्तमान योगी सरकार में भी ऐसा होना संभव है और वो भी जब गलती किसी सरकारी विभाग के छोटे कर्मचारी से नहीं बल्कि जिले से लेकर तहसील स्तर पर राजस्व का कार्य भार संभाल रहे अधिकारियों पर आए तो क्या आप मानेंगे। नही न लेकिन बांदा में बीते दिनों एक ऐसा मामला हुआ जिसकी जानकारी देर से ही सही लेकिन मीडिया को लग गई।

पैसों से भरते अपनी जेब

उसके बाद फिर क्या मानों जिले के उन महान अधिकारी के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई हो। पहले मैं आपको बता दूं कि ये पूरा मामला बांदा में होने वाले लाल सोने(बालू/मोरम) के काले कारोबार से जुड़ा हुआ है जिस पर बाहरी व्यापारी यहां आ कर खनन करते हैं और राजस्व विभाग को राजस्व मुहैया कराते हैं लेकिन इन्ही माफियाओं के द्वारा अपनी जेबें भरने के लिए अवैध खनन करने का काम किया जाता है। और अपने निर्धारित पट्टे से अतरिक्त की खुदाई कर राजस्व की चोरी करते हैं सारा पैसा अपनी जेबों में भर लेते हैं।

शासन को पत्र लिखकर कराया अवगत

मामला बांदा जनपद के पैलानी तहसील में तैनात उप जिलाधिकारी महोदय से जुड़ा हुआ है। जिन्होंने तहसील क्षेत्र में निर्गत गलौली बालू/मोरम खंड संख्या 24,25,26/1 में ग्रामीणों और मीडिया के खबरों के प्रकाशन के बाद एक टीम को गठित कर संबंधित खंड में जांच के लिए भेजा गया।क्योंकि वहां के ग्रामीणों व समाजसेवियों ने शासन को पत्र लिखकर यह अवगत कराया था की संबंधित खंड में आवंटित पट्टे की जमीन से अधिक खुदाई कार्य किया गया है।

जिलाधिकारी महोदय की माने तो बालू कारोबारी हैं बेचारे

जिस पर महोदय अपनी टीम के साथ जांच करने गए। और वहां से नाप जोक करने के बाद श्रीमान जी ने एक सरकारी आदेश बनाया और खदान संचालकों के द्वारा स्वीकृत पट्टे से कम खुदाई करना पाया गया बता कर हरी झंडी दिखा दी गई। आप समझे मतलब की उप जिलाधिकारी महोदय की माने तो बालू कारोबारी बेचारे हैं और उन्होंने कोई भी चोरी नही की। जब की असल में हुआ क्या है वो मै अब आपको बताने वाला है।

 

कौन सा अधिकारी सच्चा है और कौन सा झूंठा

दरासल मामला यह है कि जिले में एक ही दिन में जिले के दो बड़े अधिकारियों ने एक लेटर जारी किया गया। एक लेटर में बालू माफिया को पाक साफ बताया है और वहीं दूसरे अधिकारी ने उन्हें चोर बता कर हजारों रुपए का जुर्माना लगाया था। अब सवाल यह उठता है कि आखिर जिले का कौन सा अधिकारी सच्चा है और कौन सा झूंठा। आप वीडियो में दो सरकारी पत्र देख रहे हैं।गौर से देखिए दोनो पत्रों को जिनमे पत्र जारी होने की तारीख एक ही है।

 

मतलब 13 जून सन 2022 इसी तारीख में तहसील में तैनात उप जिलाधिकारी दिनेश सिंह ने खान संचालक को ईमानदार बताते हुए जिलाधिकारी को पत्र भेज दिया और वहीं दूसरी तरफ ग्रामीणों की शिकायत पर लखनऊ से आई खनिज टीम ने जब खंड का मौका मुआयना किया और नाप की गई तो खंड संचालों के द्वारा स्वीकृत 1468 हेक्टयर पट्टे से अतरिक्त बालू खनन करना पाया गया जिसमे स्वीकृत पट्टे से लगभग 5094 घन मीटर अधिक खनन करना पाया गया था।

कार्यवाही के बाद से खंड बंद है

जिसके एवज में शासन से आई खनिज टीम ने जिलाधिकारी के माध्यम से पत्र जारी कर संबंधित खंड संचालक को अवैध खनन करने का कारण बताओ नोटिस जारी किया गया इतना ही नहीं बल्कि अवैध खनन करने के एवज में उन पर लगभग 45,84,600 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। फिलहाल कार्यवाही के बाद से खंड बंद है। लेकिन हमे एक बात समझ में नहीं आई की आखिर जिले में कौन अधिकारी सच बोल रहा है और झूठ बोल कर सरकार को ठगने में में लगा हुआ है।

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