यूपी : 70 दिनों में करीब 75 लोगों ने दी अपनी जान-लगातार बढ़ रहे खुदकुशी के मामले
केसीसी के जरिए किसानों को कर्ज के जाल में फंसा रहे हैं और कर्ज नहीं चुकाने की स्थिति में यहां के किसान मौत को गले लगाने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
Bundelkhand:झांसी के बुंदेलखंड में लगातार खुदकुशी के मामले बढ़ते जा रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक पिछले 70 दिनों में झांसी और ललितपुर जिलों में करीब 75 लोगों ने अपनी जान दी है. जिनमें से 61 लोग झांसी और 15 ललितपुर के हैं। वहीं इस दौरान 500 से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या करने की कोशिश की.खुदकुशी करने वालों में किसान, बेरोजगार, छात्र और महिलाएं समेत विभिन्न वर्गों के लोग शामिल हैं. खुदकुशी करने वालों में ज्यादातर किसान और युवा हैं। बुंदेलखंड में कोई व्यावसायिक खेती नहीं है। अधिकांश किसान वर्षा के आधार पर दो फसलें उगाते हैं। जब प्राकृतिक आपदा के कारण फसलें नष्ट हो जाती हैं, तो किसान बैंकों से कर्ज लेने को मजबूर होते हैं। लक्ष्य हासिल करने के लिए बैंक भी केसीसी के जरिए किसानों को कर्ज के जाल में फंसा रहे हैं और कर्ज नहीं चुकाने की स्थिति में यहां के किसान मौत को गले लगाने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
कर्ज से परेशान किसान ने दी जान
बुंदेलखंड के जनपद बांदा में साल दर साल प्राकृतिक आपदा के चलते किसानों की फसल नष्ट हो जाती है। जिससे किसानों की स्थिति खराब हो जाती है। झांसी जिले के राजापुर गांव के 45 साल के संतोष बरार ने 09 मार्च को फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली। वह पांच बीघे का काश्तकार था और किसानी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। संतोष पर बूढी मां,पत्नी, दो बच्चों और चार बच्चियों की जिम्मेदारी थी। चित्रकूट धाम मंडल की बात करें तो मंडल के बांदा, चित्रकूट हमीरपुर और महोबा में पहले से ही बड़ी संख्या में किसान बैंकों के कर्जदार हैं। 1 वर्ष के दौरान चारों जिलों के 4,29991 किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड केसीसी के जरिए 2,841 करोड़ 98 लाख रुपए का ऋण लिया है।
जबकि पिछले वर्ष 2020 में 2,16,986 किसानों ने 16 अरब 79 करोड़ 15 लाख रुपए का कर्ज लिया था। जो किसान कर्ज लेते हैं फसल से उसकी भरपाई करने में नाकाम रहते हैं। इनमें से लगभग 45 फीसदी किसान ही भाग्यशाली हैं जो बैंक का कर्ज वापस लौटाने में सफल हो जाते हैं। इससे कुछ समय पहले झांसी जिले के पड़रा गांव में 41 साल के कृपाराम ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी. कृपाराम पर पत्नी और दो बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी थी. कृपा राम पर सरकारी बैंक और साहूकारों का कर्जदार था. कृपा राम अपनी बेटी की शादी के लिए काफी समय से प्रयास में जुटा हुए थे और शादी का खर्च जोड़ने में उसे काफी मुश्किल हो रही थी।
बेरोजगारी और किसानों की समस्या
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ संजय सिंह सिंह का कहना है कि बुंदेलखंड में सबसे ज्यादा ख़ुदकुशी के पीछे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से दो प्रमुख कारण हैं। एक कृषि से जुड़ी समस्याएं हैं, जिनमें सिंचाई के साधनों का संकट, खेतों में पशुओं की घुसपैठ, भारी बारिश या ओलावृष्टि के कारण फसल खराब होना, खेती के लिए उधार लेना, फसल का उचित मूल्य न मिलना और खेती से संबंधित अन्य समस्याएं शामिल हैं। समस्याएं शामिल हैं। दूसरा कारण बेरोजगारी है। बुंदेलखंड क्षेत्र में कृषि क्षेत्र में कई संकट हैं और रोजगार के अन्य साधनों की भारी कमी है. इन सभी कारणों से परेशान एक बड़ी आबादी में निराशा है जो उन्हें आत्महत्या जैसे नकारात्मक कदम उठाने के लिए प्रेरित करती है।
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