UP Elections 2022: तो अब तक की लड़ाई में अखिलेश आगे, यहां मिली बीजेपी को पटखनी
कहते हैं दिल्ली का रास्ता यूपी होकर ही जाता है, तो भला सियासी पार्टियां दिल्ली जाने वाले रास्ते में दमखम क्यों न दिखाएं। वैसे तो यूपी में सारी पार्टियों ने जोर लगाया है
लखनऊ। चुनाव की तारीकों का ऐलान होते ही जिन राज्यों में चुनाव हैं वहां आचार संहिता लागू कर दी गई है। देश के पांच राज्यों में अगले महीने चुनाव है लेकिन जो राज्य सबसे ज्यादा चर्चा में है वो है देश का सबसे बड़ा सूबा उत्तर प्रदेश……
कहते हैं दिल्ली का रास्ता यूपी होकर ही जाता है, तो भला सियासी पार्टियां दिल्ली जाने वाले रास्ते में दमखम क्यों न दिखाएं। वैसे तो यूपी में सारी पार्टियों ने जोर लगाया है लेकिन असल में यूपी का ये चुनाव भाजपा बनाम सपा हो गया है। एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ समेत कई दिग्गज हैं तो दुसरी ओर अकेले अखिलेश, रालोद, सुभासपा, महान दल जैसी छोटी पार्टियां जरूर साथ हैं, लेकिन पूरा दारोमदार अकेले अखिलेश यादव पर है।
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अबतक की चुनावी तैयारियों को देखें समाजवादी पार्टी ने इस चुनाव में थोड़ी सी आगे दिखाई दे रही है। विजय रथ यात्रा में आया जनसैलाब। भाजपा की योगी सराकार के खिलाफ जनता का आक्रोश इस बात की साफ साफ गवाही दे रहा हैं।
आइए जानते हैं उन मुद्दों को जहां योगी सरकार घिरती रही, और अखिलेश आगे बढ़ते रहे-
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किसान आंदोलन
किसान आंदोलन ने बीजेपी सरकार की नीयत को साफ कर दिया और 12 महीने के भीतर ऐसी नौबत आ गई की इन काले कानूनों को वापस लेना पड़ाऔर इसके बाद अखिलेश यादव ने पश्चिम में जयंत के साथ गठजोड़ कर भाजपा को तगड़ा झटका दे दिया और किसान आंदोलनों का इतना खौफ था कि बीजेपी ने पश्चिम में बड़ी रैली ही नहीं की सिवाय मेरठ के
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कोरोना माहामारी में सरकार का कुप्रबंधन
योगी सरकार ने कोरोना के पहली लहर में आपदा को अवसर में जरूर बदला लेकिन दुसरी लहर में सरकार के कुप्रंधन ने यूपी में ही नहीं पूरी दुनिया में चर्चा बटोरी। गंगा में तैरती लाशें। शमशानों घाटों में लगी लाइने। ऑक्सीजन के लिए चिल्लाते लोग। ये तस्वीरें काफी हैं सरकार की विफलता बताने को।
3.युवाओं की अनदेखी…सरकारी तंत्र का दुरुपयोग
योगी सरकार भर्तियों को लेकर हमेशा चर्चे में रही। कभी पेपर लीक कभी आऱक्षण में गड़बड़ी, तो कभी सरकारी भर्तियों में सत्ता का दुरुपयोग। इन सबके बाद युवाओं को भी अब महसूस हो रहा है कि अखिलेश सरकार युवाओं के लिए ज्यादा मुफीद है।
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छोटी पार्टियों को एक साथ लाना
अखिलेश यादव के साथ रालोद महानदल सुभासपा जैसी छोटी पार्टियां हैं जो एक जाति विशेष पर खासा प्रभाव रखता है….और तो और चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद भी भाजपा राजभर को अपने पाले में लाने के लिए जुटी है……..भाजपा ज्वाइनिंग कमेटी के सदस्य दयाशंकर सिंह शनिवार को ही राजभर से मिलने पहुंचे….बता दें राजभर का पूर्वांचल में खासा प्रभाव है और अभीतक राजभर अखिलेश के साथ हैं ….ऐसे में सपा के लिए सियासी मायने और मजबूत होते दिख रहे हैं
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