चुनाव 2022 : अलीगढ़ मंडल में बीजेपी का किला मुश्किल में.. 22 में बाइसिकल !
इगलास, खैर, बरौली, छर्रा, हाथरस सदर, सिकंदराराऊ के साथ कासगंज की तीन सीट और एटा की चार सीटों पर अभी सपा आगे नजर या रही है। जबकि अतरौली सीट पर कल्याण सिंह के निधन के बाद सीट बचाए रखना बीजेपी के लिए सम्मान का सवाल बन गया है।
अलीगढ़ : अलीगढ़ मंडल राजनैतिक तौर पर सभी दलों को जरूरी संसाधन मुहैया कराता रहा है। इस मंडल में हैं तो सिर्फ 17 विधानसभा सीट लेकिन ये 17 ही सियासी पारे में उबाल ला देती हैं। 2017 के चुनाव में ये मंडल भी भगवा रंग में रंग गया और 17 में से 16 सीटें बीजेपी के खाते में जमा कर दी। सीएम योगी आदित्यनाथ पर जहां सीटों को बचा के रखने की चुनौती है वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर जनसमर्थन को वोट में बदलने की चुनौती है।
सपा-बीजेपी आमने-सामने, काँग्रेस और बसपा तमाशा देखेंगे
चुनावी लड़ाई की बात करें तो इस मंडल में ये सपा और बीजेपी के बीच सिमट चुकी है। बसपा और काँग्रेस के लिए यहां कुछ खास नजर नहीं आ रहा। सपा के पास मतदाता को बताने के लिए यहां धार्मिक ध्रुवीकरण, जातीय समीकरण, कृषि कानून, महंगाई, बेरोजगारी, अधूरा विकास, स्वास्थ्य सेवा के मुद्दे हैं, जिससे सरकार को घेरने का मौका मिलेगा।
सपा को किला वापस चाहिए, बीजेपी को बचाना है
वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में अलीगढ़ की 7 में से 4 सपा के पास गई थीं जबकि 3 पर रालोद ने कब्जा जमा लिया था। वहीं 2017 में सभी सात सीटें बीजेपी जीत लीं थीं। इगलास, खैर, बरौली, छर्रा, हाथरस सदर, सिकंदराराऊ के साथ कासगंज की तीन सीट और एटा की चार सीटों पर अभी सपा आगे नजर या रही है। जबकि अतरौली सीट पर कल्याण सिंह के निधन के बाद सीट बचाए रखना बीजेपी के लिए सम्मान का सवाल बन गया है।
हाथरस की बात करें तो 2012 में 3 में से 2 सीटें बसपा व 1 सपा की झोली में थीं, लेकिन 17 में 3 में से 2 सीट बीजेपी ने जीतीं और एक सीट बसपा के पास गई।
एटा-कासगंज की 7 सीटों में से 6 सपा ने जीती थीं 2012 में जबकि 1 बसपा के हाथ लगी थी थी, जब 2017 के चुनाव हुए तो सभी सीटें बीजेपी के पास चली गई।
सपा बसपा का गढ़ रहा है मंडल
अतरौली और अलीगढ़ शहर सीट को हटा दें तो मंडल की सभी सीटों पर सपा-बसपा के बीच ही मुकाबला देखने को मिलता रहा है।
जाट नेता राजा महेंद्र प्रताप का नाम बचा पाएगा बीजेपी को
कानून, महंगाई, बेरोजगारी, अधूरा विकास, स्वास्थ्य सेवा और कृषि कानून को लेकर मंडल में बीजेपी काफी तनाव में थी। इसके बाद दिग्गज जाट नेता राजा महेंद्र प्रताप के नाम से राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा कर जाटों को साधने का प्रयास और मुस्लिम विश्वविद्यालय के सामने उस जैसा संस्थान बना ध्रुवीकरण का प्रयास किया गया है। ये पैतरा कारगर होगा या नहीं ये तो चुनाव परिणाम ये बात सकते हैं।
इन मुद्दों पर होगी मतदाताओं की नजर
गन्ना किसानों को साबितगढ़ चीनी मिल जाना होता होता है। मिल ने किसानों का बकाया भी नहीं दिया। छुट्टा जानवर बड़े पैमाने पर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आलू किसानों को भी इस सरकार से काफी उम्मीद थी कि बड़ी इंडस्ट्री लगेगी लेकिन उनके हाथ भी कुछ लगा नहीं, अब ये सभी मतदान का इंतजार बेसब्री से कार रहे हैं।
इसके साथ ही मंडल के शहरी इलाकों में यातायात व्यवस्था, ताला व हार्डवेयर उद्योग की मंदी बड़ा चुनावी मुद्दा है। ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी पर भी सरकार ने कोई खास ध्यान नहीं दिया।
बीजेपी इन पांच के भरोसे
हाथरस में तालाब चौराहे पर ओवरब्रिज
कासगंज का सोरों सूकर क्षेत्र तीर्थस्थल घोषित
राजा महेंद्र प्रताप के नाम से राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय
डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की स्थापना
एटा में मेडिकल कॉलेज
क्या रामवीर-जयवीर बनेंगे बीजेपी के तारणहार
बसपा के कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय और जयवीर सिंह बीजेपी के साथ या चुके हैं। रामवीर या परिवार का कोई सदस्य चुनावी दंगल में आता है तो सामने रालोद-सपा का उम्मीदवार कड़ी टक्कर देगा।
क्षत्रिय नेता जयवीर सिंह की बात करें तो ये इस समय एमएलसी हैं और बरौली सीट से टिकट के दावेदार हैं। जबकि मौजूदा विधायक दलवीर सिंह का भी दावा कमजोर नहीं है। कौन नाराज होगा और कौन खुश ये तो टिकट के बाद ही तय होगा लेकिन बीजेपी यहां जयवीर को नाराज नहीं ही करेगी।
अब देखिए मंडल की सभी सीटों का समीकरण
अलीगढ़ सात सीटें
खैर (सु.) : बीजेपी के अनूप प्रधान विधायक।
समीकरण : जाट लगभग 1.10 लाख, ब्राह्मण 50 हजार, जाटव 40 हजार, अन्य अनुसूचित जातियां 25 हजार, मुस्लिम 30 हजार, वैश्य 25 हजार।
बरौली : बीजेपी के दलवीर सिंह विधायक।
समीकरण : क्षत्रिय लगभग 90 हजार, ब्राह्मण व मुस्लिम 35-35 हजार, जाटव 30 हजार, लोध, बघेल व जाट 25-25 हजार।
अतरौली : बीजेपी के संदीप सिंह विधायक।
समीकरण : यादव व लोध लगभग 75-75 हजार, ब्राह्मण 35 हजार, जाट व मुस्लिम 30-30 हजार, जाटव 25 हजार।
छर्रा : बीजेपी के रवेंद्र पाल सिंह विधायक।
समीकरण : क्षत्रिय लगभग 80 हजार, मुस्लिम 35 हजार, यादव व जाटव 30-30 हजार, लोधी 25 हजार, ब्राह्मण 20 हजार।
कोल : बीजेपी के अनिल पाराशर विधायक।
समीकरण : मुस्लिम लगभग 1.45 लाख, ब्राह्मण 60 हजार, क्षत्रिय 50 हजार, वैश्य 35 हजार, जाटव 30 हजार, लोध 20 हजार।
अलीगढ़ शहर : बीजेपी के संजीव राजा विधायक।
समीकरण : वैश्य व मुस्लिम लगभग 1.40-1.40 लाख, कोली 40 हजार, ब्राह्मण 30 हजार।
इगलास (सु.) : बीजेपी के राजकुमार विधायक।
समीकरण : जाट लगभग 1 लाख, ब्राह्मण 80 हजार, अनुसूचित जातियां 50 हजार, बघेल 30 हजार, वैश्य 20 हजार।
एटा 4 सीटें
एटा सदर : बीजेपी के विपिन वर्मा डेविड विधायक।
समीकरण : यादव लगभग 65 हजार, वैश्य व अनुसचित जातियां 45-45 हजार, लोधी 35 हजार, ब्राह्मण 30 हजार, क्षत्रिय व मुस्लिम 20-20 हजार।
अलीगंज : बीजेपी के सत्यपाल सिंह राठौर विधायक।
समीकरण : यादव लगभग 65 हजार, क्षत्रिय 55 हजार, अनुसूचित जातियां 50 हजार, शाक्य 40 हजार, मुस्लिम 30 हजार, ब्राह्मण 25 हजार, लोधी 18 हजार, वैश्य 16 हजार।
मारहरा : बीजेपी के वीरेंद्र सिंह लोधी विधायक।
समीकरण : लोधी लगभग 65 हजार, यादव व अनुसूचित जातियां 55-55 हजार, क्षत्रिय 21 हजार, ब्राह्मण 20 हजार, मुस्लिम 13 हजार, वैश्य 11 हजार।
जलेसर (सु.): बीजेपी के संजीव दिवाकर विधायक।
समीकरण : यादव व अनुसूचित जातियां लगभग 70-70 हजार, क्षत्रिय 37 हजार, मुस्लिम 30 हजार, लोधी 25 हजार, बघेल 23 हजार, वैश्य 13 हजार।
कासगंज 3 सीटें
कासगंज सदर : बीजेपी के देवेंद्र राजपूत विधायक।
समीकरण : लोधी लगभग 70 हजार, अनुसूचित जातियां 47 हजार, यादव 40 हजार, मुस्लिम 35 हजार, वैश्य 30 हजार, बघेल 22 हजार, क्षत्रिय व शाक्य 20-20 हजार, ब्राह्मण 17 हजार।
पटियाली : बीजेपी के ममतेश शाक्य विधायक।
समीकरण : मुस्लिम लगभग 50 हजार, यादव व अनुसूचित जातियां 45-45 हजार, क्षत्रिय 40 हजार, शाक्य-बघेल 35-35 हजार।
अमांपुर : बीजेपी के देवेंद्र प्रताप सिंह जीते। निधन से सीट रिक्त।
समीकरण : लोधी लगभग 60 हजार, क्षत्रिय व अनुसूचित जातियां 40-40 हजार, मुस्लिम 38 हजार, शाक्य 30 हजार, ब्राह्मण 25 हजार, बघेल 20 हजार, वैश्य 15 हजार, यादव 7 हजार।
हाथरस 3 सीटें
सिकंदराराऊ : बीजेपी के वीरेंद्र सिंह राणा विधायक।
समीकरण : क्षत्रिय लगभग 90 हजार, अनुसूचित जातियां 60 हजार, यादव 40 हजार, बघेल व मुसलमान 35-35 हजार, वैश्य 20 हजार, अहेरिया 15 हजार, कुशवाह व लोधी 12-12 हजार, कुम्हार 10 हजार।
सादाबाद : बसपा से रामवीर उपाध्याय जीते थे। दल से निलंबित।
समीकरण : जाट लगभग 90 हजार, अनुसूचित जातियां 55 हजार, ब्राह्मण 50 हजार, मंसलमान 25 हजार, क्षत्रिय व बघेल 20-20 हजार, वैश्य व यादव 15-15 हजार।
हाथरस (सु.) बीजेपी के हरिशंकर माहोर विधायक।
समीकरण : अनुसूचित जातियां लगभग 80 हजार, ब्राह्मण 45 हजार, वैश्य 40 हजार, क्षत्रिय 35 हजार, मुस्लिम व कुशवाह 25-25 हजार, बघेल व जाट 15-15 हजार।
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