स्वाती vs दयाशंकर : बीजेपी के ‘घर में आग’ लगा दी घर के चिराग ने, बेटी बचेगी क्या ?

दयाशंकर सिंह और स्वाती सिंह का मामला विपक्ष के लिए बिना मांगी मुराद बन कर आया है। ऐसे में बीजेपी असहज है। वो जल्द से जल्द इस भवर से निकालना चाहती है। ऐसे में दयाशंकर को पार्टी से निकालना भी एक विकल्प है।

लखनऊ : सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर जिस तरह से बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह के पार्टी में आने की बात कह रहे हैं, उसके पीछे का असल कारण अब समझ में आने लगा है। हमारे सूत्रों के मुताबिक यदि दयाशंकर ने पत्नी स्वाती के साथ अपने विवाद को निपटारा नहीं किया तो उन्हे पार्टी बाहर का रास्ता दिखा सकती है। तो क्या इस बात का आभास राजभर और दयाशंकर दोनों को था कि ऐसा कुछ हो सकता है। क्योंकि राजभर जिस तरह से बयान देते रहे हैं उससे अब लगने लगा कि दयाशंकर सरोजनी नगर सीट को अपनी इज्जत का सवाल बना चुके हैं। इसके लिए वो अपनी पत्नी का टिकट बीजेपी से होने नहीं देंगे और यदि बीजेपी उनको टिकट नहीं देती तो वो राजभर की सुभासपा से मैदान में होंगे।

फिलहाल ये अटकलें हैं क्यों कि राजनीति में कुछ भी कभी भी हो सकता है।

दोनों स्थति में नुकसान बीजेपी का

दयाशंकर सिंह और स्वाती सिंह का मामला विपक्ष के लिए बिना मांगी मुराद बन कर आया है। ऐसे में बीजेपी असहज है। वो जल्द से जल्द इस भवर से निकालना चाहती है। ऐसे में दयाशंकर को पार्टी से निकालना भी एक विकल्प है। पहले भी जब मायावती पर सिंह ने अभद्र टिप्पणी की थी उस समय भी बीजेपी ने उन्हे पार्टी से बाहर कर दिया था। बाद में उनकी घर वापसी हुई थी।

ऐसे में संभावना ये है कि बीजेपी उन्हे एक बार फिर बाहर का रास्ता दिखा बेटी बचाओ नारे का बचाव कर सकती है। यदि ऐसा होता है तो कुछ हद तक डैमेज कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए पार्टी को स्वाती को सरोजनी नगर सीट से टिकट देना होगा, सिर्फ यही नहीं पार्टी को स्वाती के साथ खड़ा भी होना होगा। ऐसा कर वो विपक्ष पर हमलावर होगी और मतदाता स्वाती के प्रति नरम हो सकता है।

अब यदि बीजेपी सिंह को पार्टी से निकालती है, वो सुभासपा में जाते हैं तो राजभर उनको शहीद बता बीजेपी पर हमला कर सकते हैं। ऐसा भी संभव है कि उन्हे भी स्वाती के खिलाफ मैदान में उतार दे। इससे नुकसान तो बीजेपी का ही होगा।

फिलहाल जो भी है एन चुनावी बेला पर बीजेपी अपनों से ही परेशान नजर आ रही है।

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