2022 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने बनाई 2007 वाली चुनावी रणनीति
इसी के चलते पार्टी ब्राह्मण जोड़ो अभियान शुरू करने जा रही है और इसका आगाज भगवान राम की नगरी अयोध्या से होगा।
अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी चुनावी रणनीति बना ली है और उसपे काम भी शुरू कर दिया है। प्रदेश की दूसरी बड़ी पार्टी सपा के राष्ट्रिय अध्य्क्ष और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी पार्टी कार्यकर्ताओं को आगामी चुनाव की तैयारियों में जुट जाने का आदेश दिया है। सपा के कार्यकर्ता प्रदेश भर योगी सरकार के गलत फैसलों का जमकर विरोध कर रहे है।
वही कांग्रेस भी इस बार के विधानसभा चुनावों में कोई भी कसर छोड़ना नहीं चाहती है। इसी को देखते हुए कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी इन दिनों प्रदेश के दौरे पे निकली है। प्रियंका अपने तीन दिवसीय दौरे के पहले दिन लखनऊ पहुंची। राजधानी में पहुंचते ही उन्होंने योगी सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया और धरने पे बैठ गयी। अगले दिन प्रियंका उस महिला से भी मिली जिसके साथ ब्लॉक प्रमुख के चुनावों में बदसलूकी हुई थी।
वहीं 2007 में प्रदेश में अपनी सरकार बनाने वाली बसपा ने भी देर से ही पर विधानसभा चुनावों को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है। इसी के मद्देनजर बीएसपी अपने प्रमुख ब्राह्मण वोटरों को एक बार फिर से पार्टी से जोड़ने की तैयारी में है। इसी के चलते पार्टी ब्राह्मण जोड़ो अभियान शुरू करने जा रही है और इसका आगाज भगवान राम की नगरी अयोध्या से होगा। याद दिला दे कि 2007 में जब बसपा को विधानसभा चुनवो में जीत मिली थी। तो उसमे ब्राह्मण समाज का बहुत बड़ा हाथ था।
इसी को दोहराते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती एक बार फिर से ब्राह्मण समाज को अपने साथ जोड़ना चाह रही है। बीएसपी ब्राह्मण जोड़ो अभियान को प्रदेश के सभी जनपदों में ये अभियान चलाएगा। एक हफ्ते तक चलने वाले इस अभियान को 23 जुलाई से पूर्णिमा के दिन शुरू किया जायेगा। इस आयोजन की खास बात ये है कि मायावती ने इस काम का जिम्मा सतीश चंद्र मिश्रा को सौपा है।
वैसे तो ब्राह्मण समाज हमेशा से बीजेपी का वोट बैंक रहा है, पर सूबे की बदलती हुई राजनीति और योगी सरकार के आने के बाद से और जातिवाद के आरोप लगने की वजह से ब्राह्मण समाज और बीजेपी में दूरी आ गयी है। अब आने वाले विधानसभा चुनावों में ये देखना काफ़ी दिलचस्प होगा कि ब्राह्मण समाज योगी सरकार से मतभेद खत्म कर के योगी सरकार को समर्थन देंगे या फिर मायावती की ब्राह्मण जोड़ो रणनीति 2007 की तरह इस बार उनके काम आएगी।
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