विधानसभा चुनावों से पहले योगी सरकार ने प्रदेशवासियों को दी बड़ी राहत
आकड़ो के मुताबिक इस बार 49 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के रेगुलेटरी एसेट का दावा करने वाली बिजली कंपनियों पर इस साल भी उपभोक्ताओं की करीब 1059 करोड़ रुपये की देनदारी निकल आई है।
2022 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए योगी सरकार ने प्रदेशवासियों को बड़ी राहत दी है। सीएम योगी ने सूबे में बिजली के दाम न बढ़ने का फैसला लिया है। इसी को देखते हुए उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने सभी बिजली कंपनियों को दाम न बढ़ाने के निर्देश दिए है। विद्युत नियामक आयोग ने गुरुवार को टैरिफ ऑर्डर जारी कर दिया है। इसी के साथ ही सभी बिजली कंपनियों के स्लैब परिवर्तन के साथ ही साथ रेगुलेटरी सरचार्ज के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
योगी सरकार में अभी तक एक बार हुई बिजली दरों में बढ़ोतरी
आकड़ो के मुताबिक इस बार 49 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के रेगुलेटरी एसेट का दावा करने वाली बिजली कंपनियों पर इस साल भी उपभोक्ताओं की करीब 1059 करोड़ रुपये की देनदारी निकल आई है। इसी को देखते हुए उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों की तमाम दलीलों को खारिज कर बिजली की मौजूदा दरें न बढ़ाते हुए उन्हें यथावत रखने का गुरुवार को फैसला सुनाया। जानकरी के लिए बता दे कि योगी सरकार के शासनकाल में केवल एक बार साल 2019-20 में बिजली दरों में बढ़ोतरी हुई थी।
योगी सरकार के इस फैसले के बाद से अब प्रदेशवासियों को बिजली के दामों में कम से कम अगले साल विधानसभा चुनाव तक तो किसी तरह का कोई अतिरिक्त बोझ पड़ने वाला नहीं है।
किसानों को भी दी राहत
योगी सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए ट्यूबवेल के बिल में बड़ी राहत दी गई है। आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह ने बताया कि अब भले ही ट्यूबवेल कनेक्शन में मीटर लगने वाला हो, लेकिन किसानों को मीटर में दर्ज खपत संबंधी रीडिंग के अनुसार बिजली का बिल नहीं देना पड़ेगा। किसानों के ऐसे कनेक्शनों को भी अनमीटर्ड मानते हुए उनसे फिक्स 170 रुपये प्रति हार्सपावर की दर से ही बिजली का बिल वसूला जाएगा।
आपको बता दे कि आज भी प्रदेश में बिजली के दाम बाकि राज्यों से ज्यादा है, देश में महंगी बिजली वाले पांच राज्यों की सूची में यूपी दूसरे स्थान पर है।
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