उन्नाव: बेसिक शिक्षा विभाग की बड़ी हेराफेरी, नियम ताक पर रख एक ही फर्म को सौपें 230 स्कूलों के विद्युतीकरण के टेंडर
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लगातार जीरो टालरेंस और जीरो करप्सन की बात कर रही है लेकिन आए दिन भ्रष्टाचार, गबन और गोलमाल की खबरें सामने आ रही है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लगातार जीरो टालरेंस और जीरो करप्सन की बात कर रही है लेकिन आए दिन भ्रष्टाचार, गबन और गोलमाल की खबरें सामने आ रही है। ताजा मामला सामने आया है उन्नाव का जहां बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं आ रहा है। जिले के 932 स्कूलों में विद्युतीकरण का कार्य कराया जाना हैं। जिसमें से 702 स्कूलों में ही विद्युतीकरण कराया गया। शेष बचे 230 स्कूलों में अभी विद्युतीकरण नहीं किया जा सका।
नियमों पर गौर करें तो विद्यालय प्रबंध समिति तय करेगी कि किस फर्म से विद्युतीकरण का कार्य कराया जाए और विद्युतीकरण का कार्य भी उसी फर्म को दिया जाए जो ए श्रेणी का हो। फर्म तय करने का अधिकार प्रबंध समिति का ही होगा। लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारी जय सिंह ने 24 जुलाई को एक पत्र जारी करके आदेशित किया कि जिन विद्यालयों में कार्य कराया जाना है, वह त्रिपाठी ट्रेडर्स लखनऊ, सुल्तानपुर से कार्य कराएं। जबकी शासन में दर्जनों फर्म रजिस्टर्ड हैं।
शासन ने जिले के 932 स्कूलों में विद्युतीकरण कराने के लिए 2 करोड़ 99 लाख 57 हजार 276 रुपए का बजट जारी किया था। जिसमें 924 स्कूली की सूची पहले और 8 स्कूलों की सूची बाद में जारी की गई थी। जिसमें 702 स्कूलों में विद्युतीकरण का कार्य कराया जा चुका है और 230 विद्यालयों का विद्युतीकरण बाक है। उन्नाव में बचे 230 स्कूलों में प्रति विद्यालय में 32 हजार 143 रुपए के हिसाब से 73 लाख 92 हजार 276 रुपए के बजट से कार्य कराया जाना बाकी है। बीएसए ने इन सभी स्कूलों में विद्युतीकरण कराए जाने के लिए खंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी करके एक फर्म का नाम लिखा है।
ऐसे में एक ही फर्म को 230 विद्यालयों के विद्युतीकरण का कार्य कराने का आदेश एक तरह से इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि कहीं न कहीं अफसरों की एक फर्म पर मेहरबानी है। आपको बताते चलें कि मामला सुर्खियों में आया तो डीएम रवींद्र कुमार ने सीडीओ दिव्यांशु पटेल को जांच दे दी। फिर क्या था बेसिक शिक्षा अधिकारी बैक फुट पर आ गए। वह मान रहे हैं कि एक फर्म का जिक्र सही नहीं है। वह संसोधित चिट्ठी जारी करेंगे।
इस पूरे प्रकरण जय सिंह का कहना है कि फर्म का नाम दिया गया है। प्रबंध समिति पर यह दबाव नहीं बनाया गया है कि वह इसी फर्म से काम कराए। फर्म का नाम कोट करने के सवाल पर बीएसए गोलमोल जवाब देने लगे। शुरुआत में तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि पूर्व के अफसरों ने भी ऐसा कार्य कराया है।
हालांकि बाद में बात को संभालते हुए उन्होंने कहा कि वह लखनऊ में हैं। उन्नाव पहुंचते ही आदेश बदल देंगे। कई फर्म का नाम देंगे। उन्होंने कहा कि प्रबंध समिति के लोग स्वतंत्र हैं वह अपना फर्म खुद चुन सकते हैं। इसके लिए किसी को कोई दबाव नहीं है।
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