दुनिया का एक लोटा ऐसा देश जहां पे लाशों के साथ मनाया जाता है त्यौहार
जहां पे ये परंपरा निभाई जाती है। इंडोनेशिया में तोराजन समुदाय के लोग रहते है। इस समुदाय के लोग हर साल डेड हार्वेस्ट फेस्टिवल मनाते है।
हिन्दू सभ्यता में आमतौर पे जब कभी कोई इंसान मरता है तो उसके परिवार वाले सारे रीति रिवाज़ों के साथ उसका अंतिम संस्कार करते है। साथ में उसके अंतिम संस्कार होने के बड़ा भी 13 दिन तक पूजा पाठ किया जाता है। जिससे मरने वाले की आत्मा को शांति मिले।
उसकी याद में परिवार के सदस्य पंडितों को भोग खिलाते है ऐसी और भी कई सारी चीजे मौजूद है हिन्दू मान्यताओं में जोकि किसी के मरने के बाद किया जाता है। पर इससे हटके दुनिया में एक ऐसा भी देश है, जहां पे मरने के बाद लोगों को दफनाया या जलाया नहीं जाता बल्कि मुर्दे को ममी के रूप में तब्दील कर उसे घर पर ही रखते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि ये कैसे मुमकिन है, और ऐसा कौन से देश में होता है। जहां परमरने के बड़ा भी मुर्दों को दफनाया नहीं जाता बल्कि उसके उल्ट घर में साथ में सतह में रखा जाता है ? तो आपके इस सवाल का जवाब हम अपनी इसी रिपोर्ट में लेकर आये है।
असल में ये पूरा मामला इंडोनेशिया का है। जहां पे ये परंपरा निभाई जाती है। इंडोनेशिया में तोराजन समुदाय के लोग रहते है। इस समुदाय के लोग हर साल डेड हार्वेस्ट फेस्टिवल मनाते है। जिसमे दफ़नाये गए मुर्दों को उनकी कब्रों से बाहर निकाला जाता है। जिसके बाद उन्हें नहला धुलकर और फिर से नए कपड़े पहनाकर मरे शख्स को जो भी खाना पसंद था वही बनाया जाता है। खबरों के मुताबिक जिस दिन मुर्दों को उनकी कब्रों से निकाला जाता है उस दिन अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को भी बुलाते हैं।
एक बड़े अख़बार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक तोराजन समुदाय के लोग उस दिन पूरे गांव में जश्न मनाते है। ये सब इसलिए होता है क्योंकि वे अपने घर वालों से बहुत ज्यादा लगाव महसूस करते हैं। इसलिए उन्हें हमेशा के लिए दफनाने से पहले कई साल तक अपने साथ रखते हैं। आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि तोराजन समुदाय के लोग मुर्दों को वापस घर ले आते हैं। जहां पे उनके लिए पहले से ही एक कमरा खाली रहता है। जिसमें जरूरत का हर सामान, कपड़े और पसंद की चीजें रखी जाती हैं।
अब आप सोचेंगे कि मरने के बड़ा भी शरीर इतने समय तक कैसे सही रहता है, तो हम आपको बता दे कि ये लोग मुर्दों के शरीर को फॉर्मल्डहाइड और पानी के घोल से परिरक्षित करते हैं। बाद में इस मुर्दे को परिवार में शामिल कर दिया जाता है। यहां मौत को लोग एक उत्सव की तरह मनाते हैं।
तोराजन समुदाय में जब किसी की मौत हो जाती है तो वहां के लोग उसे दफनाने की जगह एक भैंस की बलि दी जाती है। भैंस की बलि और उत्सव के बाद मृत शरीर को घर ले जाया जाता है। इसके बाद उसे अनाजघर और बाद में श्मशान ले जाते हैं।
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