आज है हरियाली अमावस्या, जानें पितरों की पूजा करने की विधि और महत्व

सूर्य और चन्द्रमा के एक साथ होने से अमावस्या की तिथि होती है। इसमें सूर्य और चन्द्रमा के बीच का अंतर शून्य हो जाता है। यह तिथि पितरों की तिथि मानी जाती है। श्रावण माह की अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या भी कहते हैं।

सूर्य और चन्द्रमा के एक साथ होने से अमावस्या की तिथि होती है। इसमें सूर्य और चन्द्रमा के बीच का अंतर शून्य हो जाता है। यह तिथि पितरों की तिथि मानी जाती है। श्रावण माह की अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या भी कहते हैं। इसमें चन्द्रमा की शक्ति जल में प्रविष्ट हो जाती है। इस तिथि को राहु और केतु की उपासना विशेष फलदायी होती है। इस दिन दान और उपवास का विशेष महत्व होता है। इस दिन विशेष प्रयोगों से विशेष लाभ होते हैं। इस बार वैशाख की अमावस्या 08 अगस्त को है।

हरियाली अमावस्या शुभ मुहूर्त
सावन मास की अमावस्या तिथि की प्रारंभ – 07 अगस्त 2021 को शनिवार के दिन शाम 07 बजकर 11 मिनट से
सावन मास की अमावस्या तिथि समापन – 08 अगस्त 2021 को रविवार की शाम 07 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।

हरियाली अमावस्या महत्व
सावन में शिवरात्रि के बाद अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना और दान करने का महत्व होता है। मान्यता है कि इस अमावस्या के दिन पेड़- पौधे लगाना फलदायी माना जाता है। पेड़ लगाने से घर में सुख- समृद्धि बनी रहती है। पुराणों के अनुसार, पीपल के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है।

इस दिन सुबह – सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। सबसे पहले भगवान सूरज को अर्ध्य दें। इसके बाद पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा करें। फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इसके बाद जरूरमंद लोगों में अनाज, कपड़ा आदि चीजों का दान करना चाहिए। अमावस्या के दिन पितरों की पूजा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। अमावस्या के दिन गरुड़ पुराण, पितृसूक्त, गीता, गजेंद्र मोक्ष या फिर पितृ कवच करने से पितर प्रसन्न होते हैं। इस विशेष दिन पर पूजा पाठ और उपवास करने से समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा अमावस्या के दिन शाम के समय में पीपल के पेड़ की पूजा करना फलदायी माना जाता है।

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