महाराष्ट्र के इस गांव में है अनोखा स्कूल, जहां सिर्फ बुजुर्ग महिलाएं ही पढ़ने आती हैं
मुंबई। कहते हैं, पढ़ाई-लिखाई की कोई उम्र नहीं होती है। अगर कुछ सीखने की लगन हो तो उम्र मायने नहीं रखती है।
मुंबई। कहते हैं, पढ़ाई-लिखाई की कोई उम्र नहीं होती है। अगर कुछ सीखने की लगन हो तो उम्र मायने नहीं रखती है। आज हम आपको महाराष्ट्र के एक ऐसे ही गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां एक ऐसा स्कूल है जिसमें सिर्फ बुजुर्ग महिलाएं पढ़ने जाती हैं।
कहां है ये स्कूल
मुंबई से 180 किलोमीटर दूर ठाणे के मुरवाड़ इलाके में यह अनोखा स्कूल है जहां बुजुर्ग महिलाओं को पढ़ाया जाता है। इस स्कूल का नाम है ‘आजी बाइको ची शाला’। ये मराठी नाम है, जिसका मतलब होता है बुजुर्ग महिलाओं की पाठशाला।
किस उम्र की महिलाएं आती हैं पढ़ने
इस पाठशाला में आसपास की 25 से 30 बुजुर्ग आदिवासी महिलाएं रोज पढ़ने आती हैं। ज्यादतर की उम्र 60 साल ऊपर है, लेकिन इन लोगों ने इस उम्र में पढ़ने की ठानी है। इनमें से कई महिलाएं खेतों में काम करती हैं, या फिर घर का कामकाज देखती हैं। इनके काम के समय का खयाल रखते हुए स्कूल का समय दोपहर 2 बजे से 4 बजे का रखा गया है। यह ऐसा समय होता है जब ये बुजुर्ग महिलाएं घर में आराम किया करती थीं, लेकिन अब अपने फ्री टाइम में वे स्कूल में पढ़ने आती हैं। इनमें से कई महिलाएं ऐसी हैं जिनकी आंखें कमजोर हो चुकी हैं, लेकिन फिर भी उनमें पढ़ने की लगन बरकरार है।
सब कुछ मुफ्त
यहां आने वाली महिलाओं के लिए स्कूल ड्रेस भी है। उन्हें पिंक साड़ी में स्कूल आना होता है। स्कूल से ड्रेस के अलावा इन बुजुर्ग महिलाओं को एक बैग, किताबें और स्लेट भी मिली हैं। अच्छी बात ये है कि ये सब सामान इन्हें मुफ्त मिलता है। पढ़ाई के लिए भी कोई शुल्क नहीं लगता है। इन महिलाओं के चेहरे पर पढ़ने की ललक और कुछ सीखने की खुशी दिखती है।
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