सपा के तरकश से निकलेंगे ये ब्रम्हास्त्र

साल 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सपा ने संगठनात्मक ढांचे में बदलाव कर दिया है. समाजवादी पार्टी अब ब्लॉक स्तर पर संगठन बनाएगी। इस प्रस्ताव को शनिवार को पार्टी कार्यालय में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी से मंजूरी मिल गई है. नए बदलाव में समाजवादी पार्टी और ब्लॉक स्तर पर भी संगठनात्मक ढांचा खड़ा करेगी।
अभी तक सपा का संगठनात्मक ढांचा जिला शहर और विधानसभा क्षेत्र के स्तर पर ही बना है. सपा में अभी तक अनुसूचित जाति जनजाति प्रकोष्ठ एक ही था. जिसे अलग-अलग कर स्वतंत्र तौरपर नए सिरे से जनजाति प्रकोष्ठ का भी गठन होगा। समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल है.
अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी नेतृत्व सत्तारूढ़ दल भाजपा से सीधा मुकाबला करने की रणनीति के मद्देनजर सभी जाति वर्ग को जोड़कर मुकाबले में उतरना चाहती है. ऐसा करके सपा पिछड़े वर्ग की जाति को लेकर चलने वाले आरोपों से भी पल्ला झाड़ना चाहती है.
यही वजह है कि समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रस्ताव करके जिला इकाइयों के साथ ही विधानसभा और ब्लॉक स्तर पर बनने वाले संगठनात्मक ढांचे में जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी भागीदारी के फार्मूले परओबीसी जातियों के साथ ही अनुसूचित जाति के लोगों को संगठन में पदाधिकारी बनाने का फैसला किया है.

जानकारों की मानें तो इस तरह पार्टी संगठन में जितने पदाधिकारी बनेंगे उनमें औसतन 30 फीसद ओबीसी, 20 फीसद अनुसूचित जाति के साथ ही संगठन में एक जनजाति के व्यक्ति को प्रतिनिधित्व भी दिया जाएगा।

इतना ही सभी जाति वर्ग को संगठन में प्रतिनिधित्व मिले इसके लिए सपा नेतृत्व ने उपाध्यक्ष के 3 पदों को बढ़ाकर 6 और सचिव के पदों को 12 से बढ़ा कर 15 करने का निर्णय लिया है।
चुनावी समीकरण को साधने के लिए सपा की ओवरहॉलिंग। समाजवादी पार्टी जातिगत समीकरण साधकर सपा विपक्षियों को  ब्लॉक करेगी। समाजवादी पार्टी चुनावी चौसर पर बाज़ी लगा रही है, पार्टी की नजर में ज़मीनी कार्यकर्ता हैं। आने वाले समय में समाजवादी पार्टी के तरकश से ब्रम्हास्त्र निकलेंगे जो विपक्षियों को हर तरह से ब्लॉक करेंगे।

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