घर में इन जगहों पर स्वास्तिक बनाने के हैं फायदे
स्वास्तिक अत्यन्त प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में मंगल-प्रतीक माना जाता रहा है।
स्वास्तिक अत्यन्त प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में मंगल-प्रतीक माना जाता रहा है। इसीलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले स्वस्तिक चिह्न अंकित करके उसका पूजन किया जाता है। स्वस्तिक शब्द सु+अस+क से बना है। ‘सु’ का अर्थ अच्छा, ‘अस’ का अर्थ ‘सत्ता’ या ‘अस्तित्व’ और ‘क’ का अर्थ ‘कर्त्ता’ या करने वाले से है। इस प्रकार ‘स्वस्तिक’ शब्द का अर्थ हुआ ‘अच्छा’ या ‘मंगल’ करने वाला। कहा जाता है कि घर की कुछ खास अलग अलग जगहों पर स्वास्तिक बनाया जाए तो इसके चमत्कारिक फायदे देखने को मिलते हैं।
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वास्तु के अनुसार घर के मुख्य दरवाज़े के दोनों ओर स्वास्तिक चिह्न ज़रुर बनाना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और घर में मौजूद वास्तु दोषों से निजात भी मिलती है। लेकिन ध्यान रखें कि मुख्य द्वार पर 9 अंगुल लंबा और चौड़ा स्वास्तिक सिंदूर से बनाना चाहिए।
कहते हैं आंगन के बीचो-बीच स्वास्तिक चिन्ह अंकित करने से भी शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं। इतना ही पितृपक्ष में घर के आंगन में गोबर से स्वास्तिक चिन्ह बनाया जाए तो पितरों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इससे घर में सुख शांति का वास होता है। और नकारात्मक ऊर्जा घर से बाहर निकल जाती है।
घर के मंदिर में स्वास्तिक बनाना बेहद ही शुभ होता है। यहां स्वास्तिक चिह्न बनाकर उस पर मूर्ति स्थापित करनी चाहिए और प्रतिदिन उन मूर्तियों की पूजा करना शुभ फलदायी माना जाता है।
घर की अलमारी, तिजोरी या जिस जगह पर आप अपने पैसे रखते हैं वहां पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए।
घर की मुख्य दहलीज़ का पूजन करके भी स्वास्तिक बनाया जाता है।
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