रील की दुनिया को रियल करने की डगर नही है आसान!
उत्तर प्रदेश की नई फिल्म सिटी बनने की बाते एक बार फिर ज़ोर शोर से शुरू हो गई है। हालांकि ये सपना पहले भी एक बार देखा जा चुका है, नोएडा में फ़िल्म सिटी बनाने की बात तो की गई थी लेकिन समय परिस्थितियां और सरकारों का ढुलमुल रवैया इसमे बाधक साबित हुआ।
उत्तर प्रदेश की नई फिल्म सिटी बनने की बाते एक बार फिर ज़ोर शोर से शुरू हो गई है। हालांकि ये सपना पहले भी एक बार देखा जा चुका है, नोएडा में फ़िल्म सिटी बनाने की बात तो की गई थी लेकिन समय परिस्थितियां और सरकारों का ढुलमुल रवैया इसमे बाधक साबित हुआ।
यही कारण रहा कि सपनो की रुपहली दुनिया साकार ना हो सकी और उसकी जगह न्यूज़ सिटी ने अपने पैर जमा लिए।
इन फिल्म सिटी की तुलना में उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी की कामयाबी इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे संचालित कौन करेगा और यहां क्या-क्या सुविधाएं होंगी?
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नोएडा में क्या उस तरह की व्यवस्थाएं मुकम्मल करवा पाएगी सरकार ये एक बड़ा सवाल है। हालांकि कोरोना काल के साथ इस समय जो योग मुंबई फिल्म इंडस्ट्री पर चल रहा है उससे यहां पर काम करने पहुंच रहे युवा पीढ़ी को ये शहर पसंद नहीं आता। नालों, झोपड़पट्टियों की गंदगी, सड़कों पर मौजूद जानलेवा गड्ढे और बारिश में होने वाला जलभराव मुंबई शहर के सारे आकर्षण छीन चुका है। कहां से हो शुरुआत?
इंडियन फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स काउंसिल के एक पदाधिकारी कहते हैं कि दूरगामी योजना बनाकर सिनेमा के लिए समर्पित लोगों की टीम बनानी होगी। जिससे कि मुम्बई के मिथक को तोड़ा जा सके तो वहीं सर्व सुविधा और हितग्राहियों से लगाये इंडस्ट्री से जुड़े हर व्यक्ति की भावनाओं को भी समझना होगा।
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अभी फिल्म निर्माता पैसे लेने के लिए लखनऊ भागते हैं, उत्तर प्रदेश सरकार को ऐसे निर्माताओं के साथ संवाद बढ़ाना चाहिए जो साल में कम से कम चार-पांच फिल्में बनाते हैं और गोवा, हैदराबाद, कोलकाता, राजस्थान या अन्य कहीं अपनी फिल्में शूट करते हैं। देसी-विदेशी फिल्म कंपनियों को अपने कॉरपोरेट दफ्तर मुंबई से यूपी स्थानांतरित करने के लिए भी लुभावनी योजनाएं सरकार को बनानी चाहिए। जिससे कि ज़्यादा से ज़्यादा फिल्मों का निर्माण कार्य यहां किया जा सके।
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बुनियादी ढांचे को भी दुरुस्त करने की आवश्यकता होगी उत्तर प्रदेश असीम संभावनाओं का ओरदेश तो है ही बावजूद इसके यहां के साइट सीन्स को उनके मूल स्वरूप में संजोने की आवश्यकता है। जिससे बडी बैनर्स की फिल्मों को पूरी व्यवस्था यहां मुहैया हो सके। बिजली, पानी, सड़क इत्यादि की सुविधाओं को भी दुरुस्त करने में सरकार को ध्यान देना होगा।
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