चुनाव सामग्री की बिक्री बताएगी प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का हालचाल

चुनाव में रोजगार तो मिल ही रहा है साथ में यह भी तय हो रहा है कि किस के पक्ष में है चुनावी बयार

भारत में चुनाव का मौसम एक त्योहार जैसा होता है। सब अपने अपने स्तर से चुनाव के इस मौसम का आनंद लेता हैं। तमाम संभावनाएं और कयाश लगाए जाने लगते हैं। सभी अपनी मनपसंद पार्टियों की चर्चा और उसकी जीत के परिकल्पना को साकार होने के नजरिये को लेकर बहस और नोंक झोक में मशरूफ हो ही जाते हैं।

अगले साल उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में चुनाव सामग्रियों की बिक्री भी काफी हो रही है। उत्तर प्रदेश में अगर कोई व्यक्ति चुनाव सामग्री के बिक्री की लिहाज से किसी पार्टी विशेष के जीत की भविष्यवाणी कर देता है तो इसमें कोई विशेष अचम्भे की बात नहीं है।

चालीस साल से चुनाव सामग्री की दुकान चला रहे 78 वर्षीय बुज़ुर्ग मोहम्मद हनीफ अपनी दूकान पर बैठे-बैठे चुनाव की सरगर्मियों का आंकलन कर रहे हैं। वो कहते हैं कि ‘मैंने कई चुनाव देखें हैं और आज भी चुनावी सामग्री के बिकने की दर को भांपते हुए मैं जीत हार का आंकलन लगा लेता हूँ।

दुकानदार भी हैं चुनाव के परिणामों के भविष्यवक्ता

यूपी विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां धीरे धीरे शुरू हो चुकी हैं। चुनाव को लेकर सभी राजनैतिक पार्टियों की रैली जनसभाओं का दौर शुरु हो चुका है। ऐसे में चुनावी सामग्रीयों की बिक्री भी काफी बढ़ गयी है।

बीजेपी का कमल वाला झंडा, बसपा के बिल्ले, कांग्रेस का पटका और सपा की लाल टोपी ये सारी चुनावी सामग्री आजकल जोरों से बिक रही है। चुनाव से रोजगार भी मिलते हैं। एक तरफ जहां चुनावी सामग्री बिकने से दुकानदारों की कुछ आमदनी हो जाती है तो वही दूसरी तरफ वो दूकान में बैठे बैठे ही चुनाव के परिणामों का अनुमान लगा लेते हैं। वे पार्टियों का भविष्य दुकानों पर बैठे हुए ही तय कर देते हैं।

यूपी में बीजेपी सकती है अपना कार्यकाल

चुनाव को लेकर सबका अपना अलग नजरिया है। हालांकि चुनाव सामग्री को बेचने वाले दुकानदारों ने कई चुनाव देखे हैं। चुनावों में उनके अपने अलग अनुभव रहे हैं। चुनाव सामग्री बेचने वाले 78 वर्षीया बुजुर्ग मुहम्मद हनीफ मानते हैं कि आमतौर पर जिस पार्टी के चुनाव सामग्री की अधिक बिक्री होती है, वही पार्टी प्रदेश में सत्ता में आती है।

उन्होंने बताया कि अभी बीजेपी का कमल वाला झंडा अच्छा खासा बिक जाता है। चुनाव सामग्री बिकने के लिहाज से बीजेपी नंबर एक की पार्टी चल रही है। दूसरे नम्बर पर सपा रालोद और फिर अंत में बसपा और कांग्रेस आदि के चुनाव चिन्ह वाली सामग्रियां अधिक बिक रही है। ऐसे में सत्ता में बीजेपी के वापसी की प्रबल संभावना है।

पार्टी कार्यालयों के रंगरोगन का कार्य भी जोरों पर

चुनावी सरगर्मियों के साथ लगभग हर एक राजनैतिक कार्यालय को चमकाने की कवायद चल रही है। मेरठ में बसपा के कार्यालय पर रंगरोगन का कार्य चल रहा है। रंगरोगन का कार्य कर रहे पेंटर्स और अन्य मज़दूर बताते हैं कि चुनाव में उन्हें काम भी खूब मिल रहा है। इससे उनके आर्थिक कठिनाई की समस्या का भी हल हो रहा है।

ठेकेदार तो यहां तक कहते हैं कि अभी वे काफी व्यस्त चल रहे हैं। वो दूसरी राजनीतिक पार्टियों के संपर्क में भी लगातार बने हुए है। उन्हें दूसरी राजनीतिक पार्टी के कार्यालयों को चमकाने का भी काम मिल रहा है।

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