देश की विधि व्यवस्था का भारतीयकरण करना वक्त की जरूरत- एनवी रमण
सुप्रीम कोर्ट के दिवंगत न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहन एम शांतनगौदर को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश ने कही बड़ी बातें
भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने शनिवार को कहा कि देश की विधि व्यवस्था का भारतीयकरण करना वक्त की जरूरत है। उन्होंने कहा कि न्याय प्रणाली को और ज्यादा सुगम तथा प्रभावी बनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अदालतों को वादी-केंद्रित बनना होगा और न्याय प्रणाली का सरलीकरण अहम विषय होना चाहिए। न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘हमारी न्याय व्यवस्था कई बार आम आदमी के लिए कई रुकावट खड़े कर देती है।
अदालतों के कामकाज और कार्यशैली भारत की जटिलताओं से मेल नहीं खाते। हमारी प्रणालियां, प्रक्रियाएं और नियम मूल रूप से औपनिवेशिक हैं और ये भारतीय आबादी की आवश्यकताओं से पूरी तरह मेल नहीं खाते।’’सुप्रीम कोर्ट के दिवंगत न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहन एम शांतनगौदर को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जब मैं भारतीयकरण कहता हूं तो मेरा आशय हमारे समाज की व्यावहारिक वास्तविकताओं को स्वीकार करने तथा हमारी न्याय देने की प्रणाली का स्थानीयकरण करने की आवश्यकता से है।
उन्होनें उदाहरण देते हुए बताया की आगर किसी गांव के पारिवारिक विवाद में उलझे पक्ष कोर्ट में आमतौर पर ऐसा महसूस करते हैं जैसे कि उनके लिए वहां कुछ हो ही नहीं रहा, वे दलीलें नहीं समझ पाते, जो ज्यादातर अंग्रेजी में होती हैं।
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