कोरोना का डर बच्चों के दिमाग पर डाल रहा है नकारात्मक प्रभाव, जिससे हो सकता हैं डिप्रेशन
कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से सभी देशों की स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ा है क्योंकि मौजूदा वक़्त में अधिकतर साधनों का इस्तेमाल कोविड-19 से संक्रमित मरीज़ों के इलाज के लिए किया जा रहा है.
ऐसे में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं ना मिलने से बच्चों की सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है और इसके गंभीर नतीजे भी हो सकते हैं.कोरोना का डर बच्चों के दिमाग पर काफी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. इसके अलावा, लॉकडाउन में बाहरी समाज से कटाव भी इस समस्या में आग में घी का काम कर सकता है.
यूनिसेफ़ ने कहा है कि भारत में अगले छह महीनों में पांच साल से कम उम्र के तीन लाख बच्चों की मौत हो सकती है. बाल मृत्यु का ये आँकड़ा उन मौतों से अलग होगा जो कोविड-19 के कारण हो रही हैं.
भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक इंफोग्राफिक वीडियो शेयर की है. जिसमें बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को सही रखने के तरीके बताए हैं. आइए इनके बारे में जानते हैं.
बच्चों का दिमाग विकासशील होता है और कोरोना के बारे में ही सोचने से दिमाग अस्वस्थ हो सकता है. इसके अस्वस्थ होने से बच्चों के दिमागी विकास में बाधा आ सकती है. साथ ही कई मानसिक समस्याएं भी घेर सकती हैं.
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