सत्ता में आने के लिए BSP का ये नया दांव
बसपा एक बार फिर सोशल इंजीनियरिंग के भरोसे सत्ता में आने की बाँट जोहने में जुटी है बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने एक बार फिर ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए ब्राह्मणों को जोड़ने की मुहिम छेड़ने जा रहे है।
बसपा एक बार फिर सोशल इंजीनियरिंग के भरोसे सत्ता में आने की बाट जोटने में जुटी है बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा (BSP national general secretary Satish Chandra Mishra) ने एक बार फिर ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए ब्राह्मणों को जोड़ने की मुहिम छेड़ने जा रहे है।
ये तो परिणाम ही बताएंगे लेकिन प्रयास जरूर शुरू हो गये है
नवरात्र से बसपा जिलेवार बैठकों का दौर शुरू करेंगे 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा को इसी दांव ने सत्ता का स्वाद चखाया था एक दशक से सत्ता से दूर बसपा को क्या ये दाव सफल होगा ये तो परिणाम ही बताएंगे लेकिन प्रयास जरूर शुरू हो गये है।
अब बसपा भी ब्राह्मणों को खुश करने में जुट गई है
विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर राजनैतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दिया है ऐसे में वर्तमान सरकार से नाराज ब्राह्मणों को रिझाने में दल लगे है जिसके चलते सपा ने सबसे पहले ब्राह्मणों को अपने पाले में करने के लिए जहा परशुराम भगवान जी की मूर्ति हर जिले में लगाने के साथ आर्थिक रूप से कमजोर ब्राह्मणों की बेटियो की शादी में मदद के लिए घोषणा ही नही बल्कि पूर्व मंत्री मनोज पांडेय की अगुवाई में काम भी शुरू कर दिया है लेकिन अब बसपा भी ब्राह्मणों को खुश करने में जुट गई है।
प्रदेश में जातीय गत राजनीति से जनता ऊब चुकी है
हलाकि बसपा के ब्राह्मण कार्ड को देखते हुए अन्य विपक्षी दलों ने जम कर हमला बोला है सपा की माने तो बसपा सरकार में हर थाने में ब्राह्मणों पर दलित एक्ट के मुकदमे दर्ज कराए गए उनका उत्पीड़न कराया गया बसपा केवल राजनैतिक लाभ लेकर फेकने का काम करती है वही बीजेपी ने भी कहा कि प्रदेश में जातीय गत राजनीति से जनता ऊब चुकी है। तभी 2017 में सबका साथ सबका विकास के नारे में बीजेपी के साथ आई थी और बीजेपी के विकास एजेंडे के साथ है इन सब दलों के छलावे में नही आएगी।
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