बॉलीवुड की वो अदाकारा जिसने डाकू के हाथ पर चाकू से लिख दिया था अपना नाम
बेहद भावुक और हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहने वाली मीना कुमारी का जीवन दूसरों के साथ खुशियां बांटने और दूसरों के लिए दुख बटोरने में बीता।
Meena Kumari :1 अगस्त 1932 को जन्मीं मीना कुमारी ने बतौर अभिनेत्री 32 साल तक भारतीय सिनेमा पर अपना दबदबा कायम रखा। बेहद भावुक और हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहने वाली मीना कुमारी का जीवन दूसरों के साथ खुशियां बांटने और दूसरों के लिए दुख बटोरने में बीता। कमाल अमरोही के बेटे ताजदार अमरोही बताते हैं, ”लोगों ने मीना कुमारी को कभी खूबसूरत चेहरा नहीं कहा, जैसा कि मधुबाला को बताया गया था- वीनस ऑफ़ द इंडियन स्क्रीन.’ लोगों ने नरगिस के लिए भी कहा, “भारतीय पर्दे की पहली महिला।
मीना कुमारी ने अपना पूरा जीवन सिनेमा के पर्दे पर एक भारतीय महिला की “त्रासदी” को फिल्माने में बिताया, उन्हें अपनी निजी त्रासदी के बारे में सोचने का भी समय नहीं था। लेकिन यह कहना कि मीना कुमारी के अभिनय में ‘त्रासदी’ के अलावा कोई ‘शेड’ नहीं था, उनके साथ अन्याय होगा फ़िल्म ‘परिणिता’ की शांत बंगाली अल्हड़ नवयौवना को लें, या ‘बैजू बावरा’ की चंचल हसीन प्रेमिका को लें, या फिर ‘साहब बीबी और गुलाम’ की सामंती अत्याचार झेलने वाली बहू हो या ‘पाकीज़ा’ की साहबजान, सभी ने भारतीय जनमानस के दिल पर अमिट छाप छोड़ी है। मीना कुमारी को ख़िताब मिला ‘त्रासदी क्वीन’ का और उन्होंने ‘त्रासदी’ को अपना ओढ़ना, बिछौना बना लिया. लोगों ने समझा कि वो जैसे किरदार फ़िल्मों में कर रही हैं। असल ज़िंदगी में भी वो वही भूमिका निभा रही हैं।
पाकीज़ा फ़िल्म की शूटिंग के दौरान कमाल अमरोही और मीना कुमारी के साथ एक दिलचस्प घटना घटी. आउटडोर शूटिंग पर कमाल अमरोही अक्सर दो कारों पर जाया करते थे। एक बार दिल्ली जाते समय मध्यप्रदेश में शिवपुरी में उनकी कार में तेल ख़त्म हो गया. कमाल ने कहा कि हम रात कार में सड़क पर ही बिताएंगे.’कमाल उनको पता नहीं था कि ये डाकुओं का इलाका है। आधी रात के बाद करीब 15 डाकुओं ने उनकी कारों को घेर लिए .डाकुओं ने कहा कार में बैठे हुए लोग नीचे उतरें. कमाल ने कार से उतरने से इंकार कर दिया और कहा कि जो भी मुझसे मिलना चाहता है, वो मुझ से मिलने मेरे कार के पास आए।
‘थोड़ी देर बाद एक पायजामा और कमीज़ पहने हुए एक शख़्स उनके पास आया. उसने पूछा, ‘आप कौन हैं’. कमाल ने जवाब दिया, ‘मैं कमाल अमरोही हूँ और इस इलाके में शूटिंग करने आया हूँ. हमारी कार का तेल ख़त्म हो गया है। डाकू को लगा कि वो रायफ़ल शूटिंग की बात कर रहे हैं.’लेकिन जब उसे बताया गया कि ये फ़िल्म शूटिंग है और दूसरी कार में मीना कुमारी भी बैठी है। तो उसके स्वभाव बदल गए. उसने तुरंत खाने का इंतेज़ाम कराया. उन्हें सोने की जगह दी और सुबह उनकी कार के लिए तेल भी मंगवा दिया. चलते चलते उसने मीना कुमारी से कहा कि वो चाकू से उसके हाथ पर अपना ऑटोग्राफ़ दे। जैसे तैसे मीना कुमारी ने ऑटोग्राफ़ दिए. अगले शहर में जा कर उन्हें पता चला कि उन्होंने मध्यप्रदेश के उस समय के नामी डाकू अमृत लाल के साथ रात बिताई थी।
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