बड़ी खबर: किसानों को मिली राहत, कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लिया ये बड़ा फैसला…

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन आज भी लगातार जारी है। मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में किसान आंदोलन को लेकर दूसरे दिन की सुनवाई जारी है।

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों (Farmers) का आंदोलन आज भी लगातार जारी है। मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में किसान आंदोलन को लेकर दूसरे दिन की सुनवाई जारी है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने एक कमेटी का गठन कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस समस्या के समाधान के लिए कमेटी बनाने को कहा है। कमेटी बनती है तो उसमें सिर्फ पंजाब के किसान ही नहीं, बल्कि पूरे देश के किसान संगठनों से बातचीत की जाएगी। देश के कई राज्यों के किसानों ने इस बिल का समर्थन किया है। ऐसे में प्रदर्शन कर रहे पंजाब के किसानों को आशंका है कि उनकी मांगों को नहीं माना जाएगा।

यह भी पढ़ें-  ‘AK-47 से सीएम को जान से मारेंगे 24 घंटे के अंदर, खोज सकते हो तो खोज लो’

कृषि कानून को लेकर पिछले 48 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान पीछे हटने को तैयार नहीं है। बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान सीजेआई ने एक कमेटी गठन करने की बात कही थी, जिसके लिए सरकार और किसानों के पक्षकारों से कुछ नाम देने के लिए कहा था। लेकिन अब किसानों ने कमेटी में शामिल होने से इंकार कर दिया है। किसानों का कहना है कि, वह किसी भी कमेटी का हिस्सा नहीं बनेंगे. अगर सरकार बिल को वापस नहीं लेती है तो 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी।

यह भी पढ़ें- ‘योगी तो जाएगा’ कहते ही AAP विधायक सोमनाथ भारती पर फेंकी गई कालिख और फिर…

किसान संघर्ष कमेटी ने कहा है कि, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कुछ भी कहे, हमारी मांग सिर्फ तीनों कानूनों को वापस कराने की है। अगर कानून वापस नहीं लिए जाएंगे तो हमारी तैयारी पूरी है और 26 तारीख को परेड निकाली जाएगी और उससे पहले 13 तारीख को लोहड़ी मनाकर कृषि बिल की कॉपी जलाएंगे और लालकिला कूच करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने किसान संगठन के वकील ए पी सिंह को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको विश्वास हो या नहीं, हम सुप्रीम कोर्ट हैं। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि हमें लगता है कि जिस तरह से धरना प्रदर्शन पर हरकतें ( जुलूस, ढोल, नगाड़ा आदि) हो रही हैं उसे देख कर लगता है एक दिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन में कुछ घटित हो सकता है। हम नहीं चाहते कि कोई घायल हो।

Related Articles

Back to top button