सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम किसी का खून अपने हाथ पर नहीं लेना चाहते हैं, इसलिए…
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अगर किसान विरोध कर रहे हैं तो हम चाहते हैं कि, कमेटी उसका समाधान निकाले. हम किसी का खून अपने हाथ पर नहीं लेना चाहते हैं. लेकिन हम किसी को विरोध प्रदर्शन करने से मना भी नहीं कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि, अगर किसान विरोध कर रहे हैं तो हम चाहते हैं कि, कमेटी उसका समाधान निकाले. हम किसी का खून अपने हाथ पर नहीं लेना चाहते हैं. लेकिन हम किसी को विरोध प्रदर्शन करने से मना भी नहीं कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आगे कहा कि, हम किसी को आंदोलन करने से नहीं रोक सकते हैं. आप आंदोलन जारी रख सकते हैं, लेकिन हम यह जानना चाहते हैं कि, अगर कानून रुक जाता है तो क्या आप आंदोलन की जगह बदलेंगे जबतक रिपोर्ट ना आए? इसके साथ ही सीजेआई ने कहा कि, अगर कोई बड़ी घटना होती है तो हम सब इसके जिम्मेदार होंगे.
कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चल रही सुनवाई के दौरान सरकार ने अदालत में कहा है कि, कोर्ट सरकार के हाथ बांध रही है, हमें ये भरोसा मिलना चाहिए कि, किसान कमेटी के सामने आएंगे और बातचीत करेंगे. वहीं इस बात पर किसान संगठन की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि, किसान के 400 संगठन हैं ऐसे में कमेटी के पास जाना है या नहीं ये फैसला करना पड़ेगा. ये दलील सुनकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि, ऐसा माहौल कतई ना बनाएं कि, सरकार के सामने जाएंगे और कमेटी के पास नहीं जाएंगे.
वहीं किसान महापंचायत की ओर से कोर्ट को बताया गया कि, उन्हें दिल्ली आने से रोका जा रहा है. वह कमेटी के सुझाव का स्वागत करते हैं और प्रदर्शन को शांतिपूर्ण ढंग से जारी रखेंगे. सीजेआई ने कहा कि, प्रदर्शन जैसे चल रहा है चलता रहे. लेकिन हम आप से अपील करते हैं कि, सड़क की जगह किसी और स्थान पर बैठ जाएं. अगर किसी की जान जाती है या फिर संपत्ति को हानि पहुंचती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? सीजेआई ने किसान संगठन के वकील से कहा कि, आप प्रदर्शन में बैठे बुजुर्गों और महिलाओं को मेरा संदेश दें और कहें कि, चीफ जस्टिस चाहते हैं कि, आप घर चले जाएं.
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई के दौरान सरकार और पक्षकारों से कुछ नाम देने को कहा है जिससे उन्हें कमेटी में शामिल किया जा सके. हमारे लिए लोगों का हित जरूरी है. अब कमेटी बताएगी कि, कानून लोगों के हित में है या नहीं. इस मामले को कल फिर से सुना जाएगा.
कृषि कानून के विरोध में किसान (farmer) पिछले 47 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. उनका कहना है कि, सरकार जब तक इन काले कानूनों को वापस नहीं लेगी तब तक ये आंदोलन चलता रहेगा. इसके लिए चाहे पूरे साल हमें आंदोलन करना पड़े. वहीं सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को शुरू हुई सुनवाई के दौरान सीजेआई ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर की है. सीजेआई ने कहा कि, जिस तरह से सरकार इस मसले को हैंडल कर रही है उससे हम खुश नहीं हैं. हमें नहीं पता सरकार ने कानून पास करने से पहले क्या किया.पिछली सुनवाई में भी बातचीत के बारे में कहा गया, क्या हो रहा है?
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