सुल्तानपुर : शांति से पूरा हुआ राममंदिर का सपना, लोग कह रहे थे बड़ा खून-खराबा होगा : मंत्री रमाशंकर पटेल
खबर सुल्तानपुर से है जहाँ रविवार को जयसिंहपुर तहसील के सरतेजपुर गांव में कारसेवक रामबहादुर वर्मा की 31वीं पुण्यतिथि थी।
खबर सुल्तानपुर से है जहाँ रविवार को जयसिंहपुर तहसील के सरतेजपुर गांव में कारसेवक रामबहादुर वर्मा की 31वीं पुण्यतिथि थी। उनकी याद में कार्यक्रम भी रखा गया था, जिसमें योगी सरकार के ऊर्जा मंत्री रमाशंकर पटेल पहुंचे थे, मंच से लोगों को संबोधित करते हुए मंत्री के बोल बिगड़ गए। उन्होंने मुस्लिम समाज को चींटी की संज्ञा दे डाला। “मंत्री ने कहा कि, लोग कह रहे थे कि जिस दिन फैसला आएगा उस दिन बहुत बड़ा खून खराबा होगा, लेकिन कहीं से एक चीटी भी आवाज नहीं दी।”
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बताते चले कि रविवार को जयसिंहपुर के सरतेजपुर में कारसेवक राम बहादुर की पुण्यतिथि के मौके पर उनकी समाधि को सजाया गया था। सरकार के मंत्री, विधायक और पदाधिकारी बड़ी संख्या में मौजूद थे। इस मौके पर मुख्य अतिथि ऊर्जा मंत्री रमाशंकर पटेल ने कहा कि ‘हम रामबहादुर वर्मा को सच्ची श्रधांजलि दे रहे हैं कि, राममंदिर का उनका जो सपना था, देश और प्रदेश का जो सपना था, जो हिंदुत्व का सपना था उस राममंदिर का भव्य निर्माण होने जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि आज हम भगवान राम को छोड़ कर नही रह सकते। मंत्री ने कहा कि भारत और उत्तर प्रदेश मे आप लोगों ने बहुत मजबूत सरकार बनाई, तब राममंदिर निर्माण का रास्ता आराम से हल हो गया। और उन्होंने कहाँ की आज मजबूत है भारत
तो वही इसके बाद मंत्री ने कहा कि, “लोग कह रहे थे कि जिस दिन फैसला आएगा उस दिन बहुत बड़ा खून खराबा होगा, लेकिन कहीं से एक चीटी भी आवाज नही दी। एकदम शांति से राममंदिर का सपना पूरा हुआ।” राममंदिर का भव्य निर्माण आज अयोध्या में होने जा रहा है।आप कल्पना करिए के साढ़े तीन साल पहले उत्तर प्रदेश मे अपनी सरकार बनाई, 6 साल हो गया नरेंद्र मोदी की सरकार बनाई जिसमें मां-बहनों का बड़ा सहयोग रहा उससे आज भारत कहीं ना कहीं मजबूत है।
वहीं मन्त्री जी ने बताया कि रामबहादुर वर्मा कारसेवा करते हुए गोली लगने से हुए थे घायल, इलाज के दौरान हुई थी उनकी मौत खैर मंत्री के बड़े-बड़े बयान सुनने को जरुर मिले लेकिन विडंबना ये कि 31 साल गुजर गए शहीद कारसेवक के परिवार को कोई मदद नहीं मिली। उल्लेखनीय रहे कि अयोध्या में विवादित स्थल पर कारसेवा 1992 से पहले 1990 में भी हुई थी, जिसमें देश से तमाम लोग वहां पहुंचे थे। सुल्तानपुर के राम बहादुर वर्मा भी कारसेवा के लिए अयोध्या पहुंचे थे। राम भक्तों का जत्था विवादित स्थल की तरफ कूच कर रहा था, लेकिन फोर्स ने गोली चला दी। 30 अक्टूबर 1990 को कारसेवा के दौरान राम बहादुर वर्मा के सिर में गोली लगी थी।12 दिन फैजाबाद के अस्पताल में उनका इलाज चला, फिर यहां से उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया गया। लगभग ढ़ाई महीने इलाज के बाद 3 जनवरी 1991 को उनकी मृत्यु हो गई थी। गांव में उनकी समाधि बनी है।
बताते चलें कि शहीद कारसेवक राम बहादुर वर्मा ने अपने पीछे छोड़ी थी 6 संतान जिसमें उनकी पत्नी चन्द्रावती और 6 संतान छोड़ गए थे। जिसमें 4 लड़के और दो लड़कियां थीं। 49 वर्षीय काली सहाय उनके बड़े बेटे हैं और दिव्यांग हैं। जब उनके पिता की मौत हुई तो काली सहाय 20 साल के थे। काली सहाय कहते हैं- पिता के मौत के बाद यूपी में कल्याण सिंह की सरकार थी। सरकार से एक लाख रुपए आर्थिक सहायता और एक लाख रुपए विश्व हिंदू परिषद से मिला था। इस पैसे से मां पालतीं, लेकिन उन्हें कैंसर ने जकड़ लिया। ये रकम कम पड़ गई और पैसों की आवश्कता पड़ी, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। अंत में इलाज के दौरान उनकी भी मौत हो गई। काली सहाय ने बैंक से लोन लेकर गांव के बाहर एक आटा चक्की खोली है, जिससे पूरे परिवार का भरण पोषण चल रहा है। अभी साल भर पहले दिव्यांग कोटे में उनकी पत्नी की सफाई कर्मी में नियुक्ति हुई है।
Report -Santosh Pandey
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