सुल्तानपुर: पुलिस ने पूर्व ब्लॉक प्रमुख यशभद्र सिंह उर्फ मोनू एवं उनके समर्थकों को किया गिरफ्तार

खबर सुल्तानपुर से है जहां कोरोना का कहर जारी है और उसके कहर से कोई लापरवाही करने वाला बच भी नहीं रहा और किसी तरह प्रशासन ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को सम्पन्न तो करा लिया गया है।

खबर सुल्तानपुर से है जहां कोरोना का कहर जारी है और उसके कहर से कोई लापरवाही करने वाला बच भी नहीं रहा और किसी तरह प्रशासन ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को सम्पन्न तो करा लिया गया है। लेकिन चुनौतिया अभी और भी है जहां जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की तिथि अभी घोषित नही हुई है। लेकिन राजनैतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं।

इस बीच सुल्तानपुर में बीती रात पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू के भाई पूर्व ब्लॉक प्रमुख यशभद्र सिंह मोनू व उनके समर्थकों को कोतवाली नगर पुलिस हिरासत में लेकर कोतवाली आई। यहां उनके व समर्थकों के विरूद्ध महामारी अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस अधीक्षक सुल्तानपुर ने बताया कि, आज सभी को कोर्ट में पेश किया जाएगा।

बताते चलें कि शनिवार रात कोतवाली नगर के पयागीपुर चौराहे पर कोतवाली पुलिस की टीम ने पूर्व ब्लॉक प्रमुख यशभद्र सिंह उर्फ़ मोनू एवं उनके समर्थकों को गिरफ्तार किया और कोतवाली लेकर आई। यहां गाड़ी में रखे असलहों आदि की पुलिस ने गहनता से जांच और तलाशी किया।

बताया जा रहा है कि यशभद्र सिंह उर्फ मोनू की बहन अर्चना सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष पद की प्रबल दावेदार हैं, मोनू उन्हीं के चुनाव मैनेजमेंट में निकले थे। रात भर उन्हें व उनके समर्थकों को कोतवाली में ही बैठाए रखा गया। इस बीच कई जगह से फोन भी आए लेकिन पुलिस भी दबाव में थी इसलिए वो छूट नही सके। एसपी विपिन मिश्रा ने बताया कि महामारी अधिनियम के तहत मोनू समेत 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। आज उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा।

दरअसल भद्र परिवार की बेटी अर्चना सिंह वार्ड नंबर 24 से पहली बार लड़ कर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीती है। महिला सामान्य सीट होने के नाते उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है़। भीतरखाने में चर्चा तो यहां तक है़ कि समाजवादी पार्टी के सिंबल पर वो चुनाव लड़ सकती हैं।

सत्ताधारी दल के दिग्गजों में ये बात पहले से संज्ञान में है और वो सभी किसी कीमत पर भद्र परिवार में जिला पंचायत अध्यक्ष का पद जाने नही देना चाहते। अब जब यशभद्र सिंह और उनके समर्थकों के विरूद्ध कार्यवाही हुई है। तो उसे भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। बता दें कि 5 वर्ष पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में यशभद्र सिंह उर्फ़ मोनू भी मैदान में थे।

उस समय मोनू के भाई पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू भाजपा में थे इसलिए भाजपा ने मोनू को समर्थन दिया था। समाजवादी पार्टी ने तत्कलीन जिला पंचायत अध्यक्ष ऊषा सिंह को टिकट दिया था। वो जीत भी गई, और तब से मोनू बनाम ऊषा राजनैतिक नूराकुश्ती चली जो पूरे पांच साल चली और अब ये दोनों भाई भाजपा से बाहर हैं और ऊषा व उनके पति भाजपा का दामन थामे हुये है।

बताते चलें कि इस बीच साल 2019 में लोकसभा का चुनाव आया तो पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह उर्फ़ सोनू सिंह बीएसपी,सपा,कांग्रेस गठबंधन के टिकट पर मेनका गांधी के विरूद्ध मैदान में आ गए। उन्होंने सारी ताकत झोंक दी अंत में 14 हजार के अंतर से हार जीत हुई तो सांसद ने अपनी प्रतिष्ठा जोड़ ली।

बस फिर क्या था, भद्र बंधुओ के धुर विरोधी जितने भी नेतागण थे सभी सांसद की जमात में आकर खड़े हो गए। अब जब जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव होना है़, बीजेपी से ऊषा सिंह के प्रत्याशी बनाए जाने की संभावना है़। लेकिन दिक्कत इस बात की है़ कि बीजेपी के अपने 3 जिला पंचायत सदस्य जीते हैं, उसे 20 वोट और चाहिए जिसे कवर करना आसान नही हैं।

ऐसे में सबसे बड़ा रोड़ा सोनू सिंह व मोनू सिंह थे जिन्हें साइड लगाने की कोशिश की जा रही है।जिसमे पूर्व विधायक चंद्र भद्र सिंह सोनू पर जिला प्रशासन ने पहले ही गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज कर उनकी तलाश कर रही हैं!

सुल्तानपुर से सन्तोष पाण्डेय की रिपोर्ट

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