सफल हुए प्रयास, राज्य में लगातार बढ़ रहा मछली उत्पादन

सरकार की नीतियों का असर, एक लाख से अधिक ग्रामीण मछली उत्पादन से जुड़े

लखनऊ। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर मुहैया कराने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किए गए मत्स्य उत्पादन के अब बेहतर परिणाम मिलने लगे हैं। सरकार के प्रयासों के चलते यूपी में मछली उत्पादन का कारोबार बीते चार वर्षों में तेजी से फैला है। अब गांव -गांव में युवा इस करोबार से जुड़ रहें हैं। ग्रामीणों को मछली उत्पादन अब भाने लगा है। जिसके चलते अब हर साल प्रदेश में मछली उत्पादन एक नया रिकार्ड बन रहा है। चार साल पहले राज्य में 6.18 लाख टन मछली उत्पादन होता था, जो मार्च 2021 में अब बढ़कर 7.43 लाख टन हो गया है और 1,38,657 ग्रामीण सीधे मछली पालन से जुड़ गए हैं। यहीं नहीं इन चार वर्षों में मत्स्य बीज उत्पादित करने के मामले में भी यूपी आत्मनिर्भर हो गया है और अब बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान को यूपी मत्स्य बीज उपलब्ध करा रहा है। इसके साथ ही खेती के उपयोग में ना आने वाले सेलाइन क्षेत्र ( क्षारीय भूमि) में झींगा मछली पालन करके अब यूपी दूसरे राज्यों को मछली उत्पादन में इजाफा करने के तरीके बताने लगा है।

 

राज्य मत्स्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, मत्स्य पालन पूरी दुनिया में एक वृहत्तर उद्योग का रूप ले चुका है, और मछली उत्‍पादन के क्षेत्र में विश्‍व में भारत का दूसरा स्‍थान है। देश और प्रदेश में लाखों मछुआरों के अलावा अब बड़ी संख्‍या में पढ़े-लिखे युवा भी इस रोजगार से आकर्षित हो रहे हैं। राज्य के हर बड़े गांव में मछली पालन होता रहा है। बीते चार वर्षों में किसानों को आय का अतिरिक्त जरिया मुहैया कराने के चलते मछली पालन को बढ़ावा दिया गया है। प्रदेश में हुआ 7.43 लाख टन मछली का उत्पादन इसका सबूत है। जो राज्य में मछली उत्पादन को बढ़ाने के लिए शुरू की गई नीतियों के चलते संभव हुआ है। प्रदेश सरकार मछली उत्पादन की बढ़ती संभावनाओं तथा मछली के पौष्टिक गुणों के मद्देनजर इसके उत्पादन को बढ़ावा दे रही। जिसके तहत सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में 32331.243 लाख मत्स्य बीज उत्पादन/वितरण का लक्ष्य रखा है। मछली पालन को बढ़ाने देने ख़ास कर अंतरदेशीय मछली पालन (इनलैंड फिशरीज) के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार ग्राम पंचायतों के स्वामित्व वाले तलाबों को 10 साल के लिए पट्टे पर देने का निर्णय भी किया है। पट्टे पर दिए जाने वाले इन सभी तालाबों का रकबा करीब 3000 हेक्टेयर होगा। राज्य में ग्राम सभा के 2,02,499 तालाब हैं। इनमें से 79,433 तालाब मछली पालन के लिए पट्टे पर दिए गए हैं। इनके अलावा निजी क्षेत्र तथा अन्य विभागों के भी तालाब हैं। वर्तमान में पट्टे पर मिले कुल 91,242 तालाबों में मछली पालन किया जा रहा है। इसके अलावा मथुरा में सैलाइन क्षेत्र में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 22 हेक्टेयर का तालाब बनाकर झींगा मछली का पालन किया गया। यह प्रयोग सफल रहा है और अब 55 हेक्टेयर में झींगा पालन किया जाएगा। इसके बाद राज्य के अन्य सैलाइन क्षेत्रों में झींगा पालन किया जाएगा। देश और विदेश में झींगा मछली की बहुत मांग है और निजी क्षेत्र की कंपनियां भी इसके उत्पादन के लिए यहां आ सकती हैं।

 

अधिकारियों के अनुसार केंद्र सरकार की ओर से शुरू प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लिए सरकार ने बजट में 243 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। मछुआरा समुदाय को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए वित्तीय वर्ष 2021-2022 में दो लाख मछुआरों को निःशुल्क बीमा योजना से जोड़ा जाएगा। निजी भूमि पर तालाब का निर्माण कराकर उसमें मछली पालन करने को लेकर भी सरकार योजना लायी है। जिसके तहत मत्स्य पालकों को रियायती ब्याज पर धनराशि मुहैया कराने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड दिया जा रहा है। अब तक 7883 मत्स्य पालकों को 6972.08 लाख रुपए के किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए विभिन्न बैंकों से मुहैया कराए गए हैं। इसके अलावा सरकार ने बीते साल लॉकडाउन के समय डोर टू डोर मछली सप्लाई करने के लिए मछली बेचने वालों को 520 मोटरसाइकिल आइस बॉक्स के साथ उपलब्ध कराई थी। अब साइकिल की साथ आइस बाक्स मछली बेचने वालों को उपलब्ध कराया जा रहा है। मछली की बिक्री में कोल्ड चेन स्थापित करने के लिए रेफ्रिजरेटर वें भी इस वर्ष मछली व्यवसायियों को देने की योजना है।

 

मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे इन कार्यों के चलते ही बीते वर्ष मछली पालन के लिए राज्य में चल रहीं योजनाओं के सफल संचालन और मछली उत्पादन के लिए उत्तर प्रदेश को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य चुना गया। यही नही बाराबंकी जिले के मछली पालक के रिसर्कुलर एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) सिस्टम को देश भर में लागू कर दिया गया है। अब तक 88 आरएएस की स्थापना प्रदेश के विभिन्न जिलों में की गई है। इसके अलावा जलाशयों में तैरते हुए केजों की स्थापना कर मछली पालन किया जा रहा है। अब गांवों में नई पीढ़ी भी मछली उत्पादन की तरफ आ रही है। व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन के जरिए यह युवा इसका उत्पादन बढ़ाने में सफल होंगे, ऐसी उम्मीद की जा रही है। रही बात बाजार की तो सर्वाधिक आबादी वाला राज्य होने के नाते बाजार की कोई चिंता नहीं। आज भी राज्य में मछली की जितनी खपत होती है, उसका अधिकांश हिस्सा आंध्र प्रदेश से आता है। आय और स्वास्थ्य के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण आने वाले समय में पौष्टिक होने के कारण मछलियों की मांग ओर बढ़ेगी। लिहाजा इस क्षेत्र में अब भी भरपूर संभावना है। और प्रदेश सरकार मछली उत्पादन को बढ़ावा देने में जुटी है। जिसके चलते ही राज्य में हर साल मछली उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है।

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