कहानी यूपी की – देवरहा बाबा एक रहस्य….

कहानी यूपी की – देवरहा बाबा एक रहस्य….

उत्तर प्रदेश का देवरिया जिला जहां एक अष्टांग योगी,जिनके शिष्यों में डॉ॰राजेन्द्र प्रसाद,राजीव गाँधी,अटलजी,नेताजी थे…. कहा जाता है उनके बिना मर्ज़ी कैमरे से फोटो और रिवाल्वर से गोली नहीं चलती थी,निर्जीव वस्तुओं पर उनका नियंत्रण था….
उंन्होने जीवनभर अन्न नहीं लिया।यमुना का पानी,दूध,शहद,श्रीफल के रस का सेवन करते थे….

आज कहानी उन्ही देवरहा बाबा की……

भारत के उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद को एक योगी, सिद्ध महापुरुष एवं सन्तपुरुष ने अपने नाम से ख्याति दिलाई। कहा जाता है कि इनके दर्शन मात्र से जीवन सफल हो जाता है। वह अपने चमत्कार से हजारों लोगों को तृप्त करते रहे। उनके आशीर्वाद को आतुर सिर्फ़ आम लोग ही नहीं, बल्कि कई विशिष्ट लोग भी थे।

उनके भक्तों में जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री , इंदिरा गांधी, राजेन्द्र प्रसाद, महामना मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तमदास टंडन, जैसी महान विभूतियां रही हैं। अत्यंत सहज, सरल और सुलभ बाबा के सानिध्य में जैसे वृक्ष, वनस्पति भी अपने को आश्वस्त अनुभव करते रहे। कुछ ऐसे ही थे चमत्कारिक, अलौकिक रहस्यमई ‘देवरहा बाबा’।

देवरहा बाबा की उम्र आज भी रहस्य है…

लोगों का विश्वास है कि वे दो शताब्दी से भी अधिक जिए। बाबा के संपूर्ण जीवन के बारे में अलग-अलग मत है। कुछ लोग उनका जीवन 250 साल तो कुछ लोग 500 साल मानते हैं। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें अपने बचपन में देखा था। उनके अनुसार इस बात के पुख्ता सबूत थे कि बाबा की आयु बहुत अधिक थी..
इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक बैरिस्टर के अनुसार उनका परिवार 7 पीढ़ियों से बाबा का आशीर्वाद लेता रहा था। 19 जून, 1990 को योगिनी एकादशी के दिन अपने प्राण त्यागने वाले बाबा के जन्म के बारे में आज तक संशय है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि वह करीब 900 साल तक जिन्दा रहे थे…

आशीर्वाद देने का ढंग था निराला….

देवरहा बाबा को खेचरी मुद्रा पर सिद्धि थी, जिस कारण वे अपनी भूख और आयु पर नियंत्रण प्राप्त कर लेते थे। बाबा का आशीर्वाद देने का ढंग निराला था। मचान पर बैठे-बैठे ही अपना पैर जिसके सिर पर रख दिया, वह धन्य हो गया। श्रद्धालुओं के कथनानुसार बाबा अपने पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से बड़े प्रेम से मिलते थे और सबको कुछ न कुछ प्रसाद अवश्य देते थे।

प्रसाद देने के लिए बाबा अपना हाथ ऐसे ही मचान के खाली भाग में रखते थे और उनके हाथ में फल, मेवे या कुछ अन्य खाद्य पदार्थ आ जाते थे, जबकि मचान पर ऐसी कोई भी वस्तु नहीं रहती थी।

देश विदेश तक थी ख्याति….

बाबा की सिद्धियों के बारे में हर तरफ खूब चर्चा होती थी। कहते हैं कि जॉर्ज पंचम जब भारत आए तो उनसे मिले। जॉर्ज को उनके भाई ने देवरहा बाबा के बारे में बताया था कि भारत में सिद्ध योगी पुरुष रहते हैं। उन्होंने जॉर्ज से कहा था कि अगर भारत जाओ तो किसी और से मिलो या न मिलो, देवरिया जिले में दियरा इलाके में, मइल गांव जाकर, देवरहा बाबा से जरूर मिलना।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को बचपन में जब उनकी मां बाबा के पास ले गईं, तो उन्होंने कह दिया था कि यह बच्चा बहुत ऊंची कुर्सी पर बैठेगा। राष्ट्रपति बनने पर डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बाबा को एक पत्र लिखकर कृतज्ञता प्रकट की थी।

देवरहा बाबा से ही प्रभावित होकर इंदिरा गांधी ने कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा निर्धारित किया…

आपातकाल के बाद हुए चुनावों में जब इंदिरा गांधी को पराजय का सामना करना पड़ा, तो वह भी देवरहा बाबा के चरणों में आईं। ऐसा लोग कहते हैं कि देवरहा बाबा ने अपने हाथ के पंजे से उन्हें आशीर्वाद दिया। उसी के बाद से इंदिरा गांधी ने कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा निर्धारित कर दिया। इसके बाद 1980 में इंदिरा के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत प्राप्त किया और वह देश की प्रधानमंत्री बनीं।

विलक्षण बाबा…

बाबा देवरहा 30 मिनट तक पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे। उनको जानवरों की भाषा समझ में आती थी। खतरनाक जंगली जानवरों को वह पल भर में काबू कर लेते थे। उनके भक्त उन्हें दया का महासमुंदर बताते हैं। जो भी आया, बाबा की भरपूर दया लेकर गया। वर्षाजल की भांति बाबा का आशीर्वाद सब पर बरसा और खूब बरसा।

मान्यता थी कि बाबा का आशीर्वाद हर मर्ज की दवाई है। कहा जाता है कि बाबा देखते ही समझ जाते थे कि सामने वाले का सवाल क्या है। दिव्यदृष्ठि के साथ तेज नजर, कड़क आवा…

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