पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग का बड़ा फैसला

उत्तर प्रदेश में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने बड़ा फैसला लिया है।

उत्तर प्रदेश में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने बड़ा फैसला लिया है। आपको बता दें कि सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन स्थलों पर तंबाकु, गुटखा, सिगरेट का प्रयोग वर्जित कर दिया है। इतना ही नहीं, पकड़े जाने पर उसे दंड भी दिया जाएगा।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (panchayat elections) की आरक्षण सूची के लिए प्रत्याशियों का इंतजार बढ़ सकता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आरक्षण प्रक्रिया अंनतरिम रोक लगाने के निर्देश दिए हैं. पंचायती राज विभाग ने बीते दिनों पंचायत चुनाव (panchayat elections) की आरक्षण सूची जारी कर दी थी. बता दें कि विभाग ने आरक्षण सूची पर आपत्ति लगाने के लिए 2 मार्च से 8 मार्च तक समय दिया था. आपत्तियों के निस्तारण से जुड़े अधिकारियों ने बताया आपत्तियों का निस्तारण हो चुका है. लेकिन कोर्ट के निर्देश पर बीते शुक्रवार को अतिंम आरक्षण सूची के प्रकाशन को रोक दिया गया है.

बता दें कि बीतें 2 मार्च को पंचायती राज विभाग ने पंचायत चुनाव (panchayat elections) के सभी पदों की आरक्षण सूची जारी कर दी थी. 4 मार्च से 8 मार्च तक आपत्तियों लगाने का समय दिया था. वहीं, आठ मार्च तक ब्लाकों और जिला मुख्यालय पर आपत्तियां ले ली गई.

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आपको बता दें कि 12 मार्च तक जिला स्तर पर बनाई गई कमेटी ने इन आपत्तियों का निस्तारण किया है. निस्तारण प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि अभी तक किसी पद पर ऐसी कोई आपत्ति नहीं मिली है जिससे आरक्षण में कोई बदलाव हो. इसलिए पहले से जारी आरक्षण सूची ही जारी हो सकती है.

लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने अजय कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पंचायत चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. याचिका में 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई है.

बता दें कि याचिका में कहा गया है कि पंचायत चुनाव (panchayat elections) में आरक्षण लागू किये जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, सेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है.कहा गया कि आरक्षण लागू किये जाने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए.

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याचिका में आगे कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किये जाने को कहा गया। उक्त शासनादेश में ही कहा गया कि वर्ष 2001 व 2011 के जनगणना के अनुसार अब बड़ी मात्रा में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किय अजाना उचित नहीं होगा। कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 के उक्त शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया। जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है। यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे।

उत्तर प्रदेश के पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा था कि 20 मार्च के बाद राज्य चुनाव आयोग कभी भी पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है. पंचायत चुनाव चार चरणों में राज्य चुनाव आयोग करा सकता है. वहीं मई में जिला पंचायत अध्यक्ष ओर ब्लॉक प्रमुख का चुनाव होना है. भूपेंद्र सिंह ने आगे बताया कि शासन से पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) की तैयारियों की चर्चा कर आयोग चुनाव तिथियों की घोषणा करेगा. उन्होंने आगे कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत के वार्डों का आरक्षण पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ है.

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