आखिरकार रिहा हुए प्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने दी जमानत

आखिरकार रिहा हुए प्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने दी जमानत
लखनऊ : कई दिनों के इन्तजार, जदोजहद और कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से जमानत मिल गयी है। हजरतगंज पुलिस ने बीती 19 मई को अजय कुमार लल्लू को आगरा पहुंच कर गिरफ्तार किया था।
उनके खिलाफ प्रवाासी मजदूरों को यूपी वापस लाने के लिए 1000 बसों की फर्जी सूची देने का आरोप लगाया गया था। पिछले शुक्रवार को अजय कुमार लल्लू को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल सकी थी और हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने 16 जून को मामले की केस डायरी तलब की थी।
19 मई से लखनऊ जेल में बंद थे अजय कुमार लल्लू 
विगत 19 मई से गिरफ्तार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की जमानत के लिए कांग्रेस ने सेशन कोर्ट में काफी प्रयास किया लेकिन उन्हे जमानत नहीं मिल सकी। कांग्रेस लगातार अपने प्रदेश अध्यक्ष की जमानत के लिए संघर्ष करती रही और इसके लिए जहां कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से भी मुलाकात कर राज्य सरकार के अधिकारियों की शिकायत की थी।
कांग्रेस ने प्रदेश भर में किया था रिहाई को लेकर प्रदर्शन 
कांग्रेस इस मामलें को लेकर लगातार योगी सरकार पर हमलावर रही। कांग्रेस का कहना था कि सरकार ने जान-बूझकर ये षड्यंत्र रचा है। कांग्रेस ने अजय कुमार लल्लू की रिहाई को लेकर पिछले दिनों प्रदेश भर में प्रदर्शन भी किया था। बता दे कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के निजी सचिव संदीप सिंह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और अन्य लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था।
बसों की लिस्ट में दोपहिया, तिपहिया और कारण निकलने के बाद हुयी थी एफआईआर 
यूपी सरकार के निर्देश पर प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह, उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में हजरतगंज कोतवाली में परिवहन अधिकारी आरपी त्रिवेदी की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया था। यह मुकदमा भारतीय दंड विधान की धारा 420, 467 और 468 के तहत दर्ज किया गया था। यह मुकदमा उत्तर प्रदेश सरकार के उस आरोपउस लिस्ट के सामने आने के बाद दर्ज किया गया जिसमें कांग्रेस द्वारा प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक ले जाने के लिए दी गई 1000 बसों की लिस्ट में शामिल कुछ वाहनों के नंबर दो पहिया, तिपहिया वाहनों तथा कारों के तौर पर दर्ज पाए गए थे।

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