यूपी की ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उठाए ये गंभीर सवाल…

यूपी की ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उठाए ये गंभीर सवाल...

SP chief Akhilesh Yadav serious questions UP online education system:- लखनऊ. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था बदहाल है।

SP chief Akhilesh Yadav serious questions UP online education system:-

समाजवादी सरकार ने जो संरचनात्मक विकास के काम किए थे भाजपा सरकार ने उनको आगे बढ़ाने के बजाय उनमें अवरोध पैदा करने का काम किया। आज शिक्षा जगत के सामने कई गम्भीर चुनौतियां है।

भाजपा सरकार उनके हल निकालने के बजाय मनमाने निर्णय थोप रही है। जैसे बिना तैयारी के नोटबंदी, जीएसटी के निर्णय हुए थे वैसे ही छात्रों के लिए आनलाइन शिक्षा की व्यवस्था के परिणाम अच्छे नहीं आ रहे हैं। यह अव्यवहारिक व अदूरदर्शी कदम है।

प्रदेश में मार्च से ही स्कूल कालेज कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण बंद है। स्कूली बच्चों को कोविड-19 से सबसे ज्यादा खतरा है। इसलिए शिक्षा के उच्च अधिकारियों ने आनलाइन शिक्षा देने का तरीका खोज निकाला है। यह व्यवस्था कम्प्यूटर, लैपटाप या स्मार्टफोन के बगैर चलने वाली नहीं है। समाजवादी पार्टी सरकार ने भविष्य की संभावनाओं के मद्देनज़र छात्र-छात्राओं को 18 लाख लैपटाप बांटे थे। स्मार्टफोन देने का भी वादा था। भाजपा सरकार में आते ही इस योजना को बंद कर दिया गया। भाजपा वाले तब इनका मजाक उड़ाते थे आज वही बुनियादी जरूरत बन गए हैं।

आखिर आनलाइन शिक्षा कैसे सफल होगी जब केवल 27 प्रतिशत बच्चों के पास लैपटाप या स्मार्टफोन है। वाईफाई सुविधा भी सुलभ नहीं है। प्रदेश में बिजली की हालत भी दयनीय है। आधे से ज्यादा बच्चों के लिए बिजली की उपलब्धता भी समस्या है। गांवों में ही नहीं शहरों में भी बिजली की आवाजाही अनिश्चित रहती है। इसके अलावा नेट कनेक्शन होने पर भी उसकी सुस्त चाल या उसके न होने की समस्या से छुटकारा नहीं मिलता है।

इस नई व्यवस्था में अभी छात्र अभ्यस्त नहीं हो पा रहे है। उनके साथ अभिभावकों को भी रहना होता है जो हमेशा सम्भव नहीं है। विद्यार्थियों के सामाजिक-आर्थिक स्तर में बहुत अंतर है जिससे आनलाइन शिक्षा सबके लिए सुगम नहीं है। बहुत से शिक्षक भी आनलाइन शिक्षण में प्रशिक्षित नहीं हैं। इन दिनों शिक्षक, छात्र अभिभावक सभी नई व्यवस्था से परेशान हैं। भाजपा सरकार ने आने वाली पीढ़ी को अंधकार के गर्त में ढकेल दिया है।

भाजपा संस्कृत और संस्कृति की गौरवशाली परम्परा की बातें तो बहुत करती है पर हकीकत में वह स्वयं ही इनकी उपेक्षा करने में आगे है। वर्तमान भाजपा सरकार के समय संस्कृत विद्यालयों की निरन्तर उपेक्षा की जाती रही है। अब भाजपा सरकार इन्हें बंद करने जा रही है। इनमें अध्यापन करा रहे प्रकाण्ड विद्वानों एवं अध्ययनरत छात्रों के भविष्य को देखते हुए उनके समुचित समायोजन पर ध्यान देना चाहिए।

शिक्षा नीति में बदलाव करने वाली भाजपा पहले अपने उन नेताओं को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाए जो करोड़ों रूपये की अनधिकृत रूप से किताबें छापने के गोरखधंधे में संलिप्त हैं। नकली ईमानदारी का चोगा ओढ़े लोगों का सच जनता अच्छी तरह जान चुकी है। भाजपा नेतृत्व छल कपट की राजनीति का परिणाम भुगतने के लिए अब तैयार रहे।

 

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