सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को पुनः निर्देश देते हुए कहा कि वे भाजपा के लोगों की बदजुबानी पर ध्यान न देकर श्रमिकों, बेहाल गरीबों की आवाज को आवाज देने से न डिगें, न भटकें
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार कोरोना संकट के साथ मजदूरों की घर पहुंचने की व्याकुलता को भी अपने राजनीतिक स्वार्थसाधन के लिए इस्तेमाल करने में संकोच नहीं कर रही है। प्रदेश में दिन रात चल रहे श्रमिकों की दुर्दशा की दर्दनाक कहानी सुनकर दिल दहल जाता है। रोज ही वे दुर्घटनाओं के शिकार होकर जानें गंवा रहे हैं। इस सबसे उदासीन भाजपा सरकार ने सभी मानवीय मूल्यों को रौंद दिया है।
समझ में नहीं आता कि जब सरकारी, प्राईवेट और स्कूलों की पचासों हजार बसें खड़े-खड़े धूल खा रही हैं तो प्रदेश की सरकार श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए इन बसों का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रही है? सरकार की हठधर्मिता बहुत भारी पड़ रही है। जो मदद को हाथ बढ़ते हैं उनको झटक देने का अमानवीय बर्ताव भाजपा का आचरण बन गया है।
यह भाजपा सरकार की नौटंकी नहीं तो क्या है कि वह बहाने पर बहाने बनाकर श्रमिकों के घर पहुंचने में अवरोधक बन रही है। भूखे-प्यासे श्रमिक, महिलाएं, बच्चे भयंकर गर्मी में नारकीय यातना भोग रहे हैं।
भाजपा सरकार को वस्तुतः स्वयं इस बात का फिटनेस सर्टीफिकेट देना चाहिए कि क्या वह इस बदहाली में देश-प्रदेश का शासन-प्रशासन चलाने लायक है? देश-विदेश में भारत की छवि का ढिंढ़ोरा पीटने वाले कहां है?
भाजपा सरकार की गरीब और श्रमिक विरोधी नीतियों का ही फल है कि रोजाना ही सड़क हादसों में श्रमिकों की जानें जा रही है। औरैया काण्ड में मृतकों के साथ भाजपा सरकार के अंसेवदनशील बर्ताव को दुनिया जान चुकी है। इटावा में ट्रक की चपेट में आकर 6 किसानों की मौत हो गई।
कानपुर में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हुई दुर्घटना में श्रमिक के बच्चे की मौत हो गई और 12 लोग घायल हो गए। आजमगढ़ के अतरौलिया क्षेत्र में हाईवे पर मऊ निवासी 2 छात्रों सहित 3 लोगों की मृत्यु हो गई। मुख्यमंत्री जी की पुलिस कहां गश्त लगा रही है और आला अफसर कहां चैकसी बरत रहे है? जब अधिकारी मुख्यमंत्री जी की बात ही नहीं सुनते है तो इस राज्य का क्या होगा?
श्री अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को पुनः निर्देश दिया है कि वे भाजपा के लोगों की बदजुबानी पर ध्यान न देकर श्रमिकों, बेहाल गरीबों की आवाज को आवाज देने से न डिगें, न भटकें। सभी समाजवादी सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करें और जनता को भाजपा के कारनामों से परिचित भी कराते रहे।
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