तो इसलिए नहीं की जाती है शिवलिंग की पूर्ण परिक्रमा

हिंदू धर्म में सावन का महीना बेहद खास माना गया है। सावन का महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय होता हैं। इस माह में कुछ लोग व्रत भी रखते हैं।

हिंदू धर्म में सावन का महीना बेहद खास माना गया है। सावन का महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय होता हैं। इस माह में कुछ लोग व्रत भी रखते हैं। इस माह में पूरी विधि- विधान से भगवान शिव की आरधना करने से सारी इच्छाएं पूरी होती है। भगवान शिव को भाग, धतूरा, बेलपत्र, फूल, फल आदि चीजें अर्पित की जाती है।

भगवान शिव को बेलपत्र बेहद प्रिय हैं। लेकिन क्या आपको पता है शास्त्रों में शिव उपासना के लिए शिवलिंग पूजा की मर्यादाएं भी नियत है। ऐसा कहा जाता है शिवलिंग परिक्रमा भी शिव पूजा विधि का एक अंग है।

बता दें कि शिवलिंग की आधी परिक्रमा होती है। शिवलिंग की आधी परिक्रमा को शास्त्र संवत माना गया है। जिसे चंद्राकार परिक्रमा के नाम से भी जाना जाता है। वहीं परिक्रमा के दौरान जलाधारी को लांघना मना होता है। जलाधारी या अरघा के स्त्रोत को लांघना नहीं चाहिए, क्योंकि माना जाता है कि उस स्थान पर ऊर्जा और शक्ति का भंडार होता है।

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