तो इसलिए पितृपक्ष में वर्जित होते हैं शुभ कार्य

पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों की पूजा और पिंडदान करते हैं। लोग अपने पितरों के प्रति श्रद्धा, आभार और स्मरण व्यक्त करने तथा उनकी मोक्ष प्राप्ति के लिए हवन-पूजन, तर्पण व दान-पुण्य आदि करते हैं।

पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों की पूजा और पिंडदान करते हैं। लोग अपने पितरों के प्रति श्रद्धा, आभार और स्मरण व्यक्त करने तथा उनकी मोक्ष प्राप्ति के लिए हवन-पूजन, तर्पण व दान-पुण्य आदि करते हैं। पितृपक्ष के लिए कहा जाता है कि इस दौरान हमारे पूर्वज और पितर धरती पर उतरते हैं और हमें देखते हैं।

यह समय पितरों से आशीर्वाद पाने के लिए उत्तम माना जाता है। इसके साथ ही यह समय पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। वहीं पितृपक्ष के दौरान हर शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं, जैसे कि शादी, घर की खरीदारी या शिफ्ट‍िंग, शादी की खरीदारी आदि।

1. पितृ पक्ष के दौरान देवी-देवताओं की नित्य पूजा करनी चाहिए।
2. पितृ पक्ष में रोजाना तर्पण करना अनिवार्य माना गया है।
3. इस दौरान दूध, पानी, जौ, चावल और गंगाजल से तर्पण करें।
4. पितृ पक्ष में पिंड दान करना अनिवार्य माना गया है।
5. पितृ पक्ष में दान-दक्षिणा को शुभ माना गया है।

इस दौरान लोग अपनी गलतियों के लिए भी अपने पितरों से क्षमा मांगते हैं और उनकी याद में पूजा पाठ करते हैं। श्राद्ध की क्रिया से पितरों का पितृ ऋण उतारा जाता है। कहा जाता है कि पितृपक्ष में पितृगण पितृलोक से धरती पर आ जाते हैं। इन 14 दिनों की समयावधि में पितृलोक पर जल का अभाव हो जाता है।

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